1- शनिवार को मौसम विभाग ने खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए चेतावनी जारी की है जो शराब का सेवन करते हैं। India Meteorological Department की जारी की गई चेतावनी में कहा गया है कि न्यूईयर सैलिब्रेशन के दौरान दिल्ली शीतलहर की चपेट में रहेगी, जिसके चलते न्यूनतम पारा तीन से चार डिग्री पर पहुंच सकता है, ऐसे मौसम में अल्कोहल के इस्तेमाल से शरीर और ठंडा पड़ सकता है जिससे तबीयत बिगड़ सकती है, इसलिए मौसम का तापमान कम होने पर अल्कोहल के इस्तेमाल से बचें। आमतौर पर मौसम विभाग इस तरह की चेतावनी जारी नहीं करता। लेकिन लोग सतर्क रहें औऱ सेहत का ध्यान रखें इसलिए आईएमडी की तरफ से ये एडवाइजरी जारी की गई है। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक 28, 29 दिसंबर तक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी और उत्तरी राजस्थान में अलग-अलग इलाकों में शीतलहर और बढ़ने की संभावना है।
2- करीब सालभर से दुनिया के विभिन्न देशों में कोहराम मचा रहा कोरोना वायरस आम आदमी और वैज्ञानिकों, सभी के लिए सिर दर्द बना हुआ है हालांकि अब लोगों की निगाहें वैक्सीन की राह तक रही हैं ताकि इस समस्या से निजात मिल सके, लेकिन इसी बीच इंग्लैंड में कोरोना के नए स्ट्रेन के मिलने से एक बार फिर लोगों में दहशत है और इसी बीच फाइजर के साथ कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बायोएनटेक के सीईओ उगर साहिन के एक बयान ने चिंताएं और बढ़ा दी हैं। उगर साहिन ने कहा है कि वायरस कम से कम दस साल तक खत्म नहीं होगा। वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस सवाल के जवाब में कि वायरस कब खत्म होगा और लोगों की जिंदगी कब तक वापस पटरी पर लौट सकेगी? साहिन ने कहा कि – हमें नॉर्मल की नई परिभाषा समझनी होगी, ये वायरस अगले 10 साल तक हमारे साथ ही रहेगा। इंग्लैंड में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन पर उन्होंने कहा कि 6 हफ्ते में नए म्यूटैशन के हिसाब से वैक्सीन तैयार की जा सकती है।
3- कोरोना महामारी के चलते स्कूल कई महींनों से बंद पड़े हैं, ज्यादातर स्कूल छात्रों को ऑनलाइन स्टडीज करा रहे हैं लेकिन दिक्कत है बोर्ड के एग्जाम्स की, अभी तक बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट जारी नहीं की हई है, इसे लेकर शनिवार को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि साल 2021 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट 31 दिसंबर को शाम 6 बजे जारी कर दी जाएगी। कोरोना के चलते बच्चों की पढ़ाई पर काफी फर्क पड़ा है, नियमित पढ़ाई न हो पाने के कारण सरकार ने अहम फैसला लेते हुए पहले ही बोर्ड के स्टूडेन्ट्स के लिए सिलेबस 30 फीसदी कम कर दिया है। आसार हैं बोर्ड की परीक्षाएं मार्च के महीने में शुरु हो सकती है लेकिन शिक्षा मंत्री ये पहले ही साफ कर चुके हैं कि परीक्षाएं ऑफलाइन ही होंगी।
4- कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए को एक और झटका लगा है, कृषि कानूनों के चलते तीन महीने पहले जहां अकाली दल अलग हो चुका है तो वहीं अब आरपीएल ने भी साथ छोड़ दिया है। कुछ वक्त पहले ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को 2 लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था, औऱ अब उन्होंने घोषणा की है कि सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस न लेने पर अड़ी है इसलिए मैंने एनडीए छोड़ दी है। बेनीवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मैंने किसानों के समर्थन में एनडीए का साथ छोड़ा है, लेकिन एनडीए छोड़ने का मतलब ये बिल्कुल नहीं कि आरपीएल, कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी। अपने समर्थकों के साथ शनिवार दोपहर जयपुर के कोटपुतली से किसानों के जुलूस के साथ शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पहुंचे बेनीवाल ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लिए जाते, तब तक किसानों के समर्थन में उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। बेनीवाल ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि तीनों कानून निरस्त नहीं किए तो आंदोलन को तेज करेंगे। वहीं किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करते हुए अपनी जारी शर्तों के साथ सरकार को बातचीत के लिए 29 दिसंबर सुबह 11 बजे का वक्त दिया है।
5 फ़सल और उत्पादों को एक निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करने के उद्देश्य से शुरु की गई किसान रेल की 100वीं रेल 28 दिसंबर से शुरु होगी। सोमवार, 28 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाएंगे। ये किसान रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलाई जाएगी। 100वीं किसान रेल के वर्चुअल उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी मौजूद रहेंगे। आपको बता दें कि कृषि उपज को सुगमता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक समयसे पहुंचाने के लिए सरकार की तरफ से किसान के लिए बतौर तौहफा किसान रेल की शुरुआत इसी साल अगस्त के महीने में की गई थी। किसान रेल के माध्यम से देशभर में कृषि उपज को समय पर कम लागत के साथ मंडियों तक पहुंचाना किसानों के लिए आसान होगा।