स्मिथा सिंह, इंटरटेनमेंट डेस्क
18 अक्टूबर 1950 को पंजाब के पटियाला में जन्मे ओम पुरी आज भले हमारे बीच न हों, लेकिन उनका अभिनय, उनकी आवाज, उन्हें सदा हमारे बीच जीवंत रखेगी। उनके जन्मदिन के मौके पर पढ़िए उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ बातें।
6 साल की उम्र में बेचते थे चाय
ओम पुरी जी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी। उनके पिता रेलवे में थे, लेकिन परिवार आर्थिक रूप से इतना संपन्न नहीं था कि ओमपुरी आसानी से अभिनय की दुनिया में अपनी जगह बना पाते, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उऩ्होंने कड़ी मेहतन और मशक्कतों का दौर देखा। गरीबी और मुफ्लिसी में बचपन बिताने वाले ओम पुरी, जिनके अभिनय की आज दुनिया कायल हुई, कभी नन्ही सी 6 साल की उम्र में वो सड़क किनारे चाय बेचा करते थे।
शबाना आजमी ने कसा था ओम पुरी पर तंज
बताया जाता है कि जब ओमपुरी और नसीरुद्दीन शाह ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया था तो एक्ट्रेस शबाना आजमी ने उन्हें देख तंज किया था कि कैसे कैसे लोग एक्टर बनने चले आते हैं। जब ओमपुरी एनएसडी से अभियन पढ़ रहे थे तो कमजोर इंग्लिश और कॉन्फीडेंस की कमी के चलते उन्होंने अपने कदम एक बार को पीछे खींचे थे लेकिन उनके गुरु कादी साहेब ने उन्हें हौसला दिया कि वे अभिनय जारी रखें और अपनी अंग्रेजी सुधारें।
नसीरुद्दीन शाह ने की थी मदद
इंस्टीट्यूट में बैचमेट रहे नसीर और ओमपुरी बरसों पुराने दोस्त थे और जरूरत के दिनों में अपनी दोस्ती का परिचय देते हुए नसीरुद्दीन ने कई दफा ओम पुरी को आर्थिक मदद दी थी, जिसके लिए ओम पुरी हमेशा कहते थे कि अगर नसीरुद्दीन ने उन्हें उस वक्त हेल्प न दी होती तो वो इस मुकाम तक शायद ही पहुंच पाते। ओम पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से ग्रेजुएशन किया। जिसकी फीस भरने के लिए उस दौर में उन्होंने अपने एक बिजनेसमैन दोस्त से 300 रुपये महीने का कर्ज लिया था।
1976 में मराठी फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’
4 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अभिनय प्रतिभा का जौहर दिखाने वाले ओम पुरी ने साल 1976 में मराठी फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से अपने अभिनय सफर की शुरुआत की थी। जिसके बाद उन्होंने हिन्दी सिनेमा में कदम रखा और तमाम फिल्मों में अपने उम्दा अभिनय की छाप छोड़ी। बिग स्क्रीन के अलावा वो स्कमॉल स्क्रीन पर भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहे। कई बेहतरीन टीवी सीरियल्स जैसे भारत एक खोज, मिस्टर योगी और कक्काजी कहिन में एक्टिंग करने के अलावा वो आहट के कुछ अंकों में भी दिखे वहीं सावधान इंडिया का सेकेंड सीजन भी होस्ट किया।
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
अपने चेहरे में खुद ही खामिया खोजने वाले ओम पुरी ने हिन्दी, कन्नड, और पंजाबी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड और ब्रिटिश सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई। अर्धसत्य और आरोहण जैसी फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए ओम पुरी अपने दमदार अभिनय के लिए ओम पुरी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। ओम पुरी हिन्दी सिने जगत का एक ऐसा सितारा थे, जो अपने हुनर और काबिलियत की बदौलत न होकर भी सदा अपने चाहने वालों के बीच जगमगाते रहेंगे।