पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में फ्रॉड कोरोना वैक्सीनेशन का शिकार हुईं तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बंगाली फिल्म अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) की तबीयत शनिवार को बिगड़ गई है। तबीयत खराब होने पर उनके घर पर डॉक्टर को बुलाया गया। बता दें कि हाल ही में कस्बा इलाके में एक वैक्सीनेशन कैंप में गईं मिमी को कोविड की नकली वैक्सीन लगा दी गई थी। इस मामले को लेकर एसआईटी का गठन कर दिया गया है।
मिमी चक्रवर्ती शनिवार को कथित टीकाकरण स्थल पर वैक्सीन लेने के चार दिन बाद बीमार पड़ गईं। जादवपुर लोकसभा सीट से सांसद मिमी को चार दिन पहले वैक्सीन लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मिमी को बुखार के साथ, तेज पसीना और पेट दर्द की दिक्कत महसूस हो रही है। उन्हें डॉक्टर्स ने अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है लेकिन उन्होंने फिलहाल घर पर ही रह कर इलाज करवाने का फैसला लिया है।
मीडिया से बातचीत के दौरान टीएमसी सासंद ने कहा कि ‘मुझसे एक युवक ने संपर्क किया था और उसने कहा था कि वो एक आईएएस अफसर है। उसने मुझसे कहा था कि वो ट्रांसजेंडर्स और दिव्यांग लोगों के लिए खास वैक्सीन नेशन ड्राइव चला रहा है। उसने मुझे इस ड्राइव में उपस्थित होने का आग्रह किया था।’
मिमी ने बताया, ‘मैंने लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करने के इरादे से उस कैंप में जाकर कोविशील्ड का वैक्सीन लिया। लेकिन मुझे कभी भी CoWIN की तरफ से कोई संबंधित मैसेज नहीं आया। मैंने कोलकाता पुलिस से शिकायत की और फिर बाद में आरोपी पकड़ा गया। यह युवक एक कार का इस्तेमाल करता था जिसपर उसने फर्जी स्टिकर भी लगा रखा था।’
टीएमसी सांसद ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से इसकी सूचना देते हुए कहा रि वैक्सीनेशन कैंप में उपयोग की जा रही वैक्सीन की शीशियों को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया गया है और अगले 4-5 दिनों में परिणाम आने की उम्मीद है। ममता बनर्जी की जगह जादवपुर से 2019 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं मिमी चक्रवर्ती को इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
पुलिस ने इस मामले में खुद को आईएएस अधिकारी बताकर मिमी को झांसा देने वाले देबांजन देब नामक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। 28 साल के देवांजन देव के पिता का नाम मोनोतांजन देव है। वह कोलकाता के आनंदपुर थाना क्षेत्र के हुसैनपुर, मदुरदाहा का रहने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देवांजन खुद को कोलकाता नगर निगम का ज्वाइंट कमिश्नर बताया करता था। पुलिस जांच में पता चला कि यह शख्स फर्जी सील-मोहर और कागजात के आधार पर लोगों को झांसा दिया करता था।