बॉलीवुड की दमदार अभिनेत्रियों में गिनी जाने वाली शबाना आजमी आज अपना 71वां जन्मदिन मना रही हैं। वे बॉलीवुड की उन बेहतरीन अदाकाराओं में से एक हैं, जिनके बारे में लिखते हुए शब्द कम पड़ते हैं, फिर भी उनके जन्मदिन के मौके पर उनके सफर के कुछ खास पहलू आप इस आर्टिकल में पढ़ सकते हैं।
18 सितंबर 1950 को हैदराबाद में जन्मी शबाना आजमी, मशहूर शायर कैफी आजमी और थियेटर आर्टिस्ट शौकत आजमी की बेटी हैं। जबकि उनके भाई बाबा आजमी एक सिनेमेटोग्राफर हैं। एक आर्टिस्टिक परिवार में जन्मी शबाना को बचपन से माहौल भी वैसा ही मिला और अभिनय की प्रतिभा उन्होंने अपनी मां से विरासत में पाई है।
अपनी शुरुआती पढाई मुंबई के क्वीन मैरी स्कूल से करने के बाद उन्होंनेसेंट जेवियर कॉलेज से Psychology में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया और फिर फिल्म एंड टेलीविजन इसंटिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से एक्टिंग का कोर्स किया। बॉलीवुड में शबाना के एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई साल 1974 में, उनकी डेब्यू फिल्म थी श्याम बेनेगल की डायरेक्शन डेब्यू फिल्म अंकुर। अपनी पहली ही फिल्म से उन्होंने दर्शकों के बीच पहचान बनाई। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पहली ही फिल्म में अपने बेहतरीन अभिनय से शबाना ने साबित कर दिया कि वो सिने जगत में एक लबां सफर तय करेंगी और अभिनय की दुनिया में एक युग अपने नाम करेंगी, और हुआ भी वहीं।
फिल्म अंकुर के बाद शबाना ने 1983 से लेकर 1985 के दौरान फिल्म अर्थ, खंडहर और पार जैसी फिल्मों के लिए लगातार तीन बार बेस्ट एक्सट्रेस का नेशनल अवॉर्ड जीता। फिल्म अर्थ, इतिहास में अपनी तरह की इकलौती फिल्म है जिसमें एक्ट्रेस के लिए एक्टर के कन्धे की जरूरत नहीं समझी गई। शबाना के अभिनय से सजी फिल्म खंडहर तो उस समय कांस फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित की गई थीl इसके अलावा साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म गॉड फादर ने एक दो नहीं बल्कि 6 नेशनल अवॉर्ड जीते थे। वहीं दीपा मेहता की फिल्म फायर में भी उन्होंने अपने दमदार अभिनय का प्रदर्शनकर दर्शकों का दिल जीता।
शबाना के अभिनय से सजी फेसम फिल्मों की फहरीस्त लंबी है, जिनमें अर्थ, खंडहर और अंकुर के अलावा निशांत, मासूम, स्पर्श, मंडी, पेस्टन जी, अमर अकबर एंथनी, शतरंज के खिलाडी, स्वर्ग-नरक, अपने पराए, दूसरी दुल्हन,मैं आजाद हूं, इतिहास, गॉड मदर, फायर जैसी फिल्में शामिल हैं। अपने दौर में ग्लैमरस एक्ट्रेस की भीड़ में शबाना ने शुद की एक अलग पहचान बनाई, उन्होंने हर तरह की फिल्मों में अपने अभिनय से खुद को साबित किया।
गंभीर फिल्मों के साथ-साथ शबाना ने मुख्य धारा की कमर्शियल फिल्मों में भी अपनी उपस्थिति कायम रखी और पांच बार नेशनल अवॉर्ड हासिल किया, जो कि एक रिकॉर्ड है। उन्हें पहली बार 1975 में फिल्म अंकुर, फिर 1983 में अर्थ, 1984 में खंडहर, 1985 में पार और 1999 में फिल्म “गॉडमदर” के लिए यह सम्मान दिया गया। इसके अलावा 1978 में फिल्म स्वामी, 1983 में अर्थ, 1985 में भावना और 1999 में फिल्म गॉडमदर के लिए उन्हें 4 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया। साल 1988 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मानों में शामिल पद्मश्री से भी सम्मानित किया।
बात करें शबाना की पर्सनल लाइफ की तो उनकी मां शौकत आजमी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी कैफ एंड आई मेमॉय में शबाना को लेकर कई चीजें लिखीं हैं, जैसे बचपन में शबाना ने दो बार सुसाइड की कोशिश की थी क्योंकि उन्हें लगता था कि मां शबाना से ज्यादा उनके भाई को प्यार करती हैं, इसलिए एक बार उन्होंने स्कूल की लेबोरेट्री में कॉपर सल्फेट खा लिया था और दूसरी बार मां शौकत के रूख व्यवहार से खफा होकर शबाना ने ट्रेन के सामने आने की कोशिश की थी। शौकत आदमी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में ये भी खुलासा किया कि शबाना ने कभी अपने पेरेंट्स से ज्यादा पैसे नहीं मांगे। वो बचपन से ही उसूल वाली रही हैं। उन्होंने परिवार की मदद और पैसे कमाने के लिए कॉफी भी बेची है। शौकत ने अपनी बुक में लिखा है कि “सीनियर कैम्ब्रिज में फर्स्ट डिविजन पास होने के बाद कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले शबाना ने तीन महीने पेट्रोल स्टेशन पर ब्रू कॉफ़ी बेची। इससे उसे 30 रुपए प्रतिदिन मिला करता था। उसने कभी मुझे इसके बारे में नहीं बताया और मैं भी
रिहर्सल में इतनी बिजी रही कि उसकी एब्सेंस को नोटिस नहीं कर पाई। एक दिन उसने पूरा पैसा मुझे लाकर दिया, तब मैंने उससे इसके बारे में पूछा। उसने कहा कि उसके पास तीन महीने का वक्त था, जिसे उसने इस्तेमाल कर लिया।”
बात शबाना की लव लाइफ की करें तो उनका नाम शेखर कपूर और शशि कपूर जैसे सेलिब्रिटीज के साथ जुड़ा लेकिन उन्होने अपना हमसफर बनाया जावेद अख्तर को। जावेद उन दिनों शबाना के पिता कैफी आजमी से मिलने उनके घर आया-जाया करते थे इसी दौरान उनकी मुलाकात शबाना से हुई और दोनों की जान पहचान हो गई, लेकिन जावेद शादीशुदा थे हनी ईरानी उनकी पत्नी थीं, इसलिए शबाना उन्हें इग्नोर करती थीं। इसके बाद भी दोनों के बीच दोस्ती की खबरें जोर पकड़ने लगीं और जावेद-हनी के बीच इस लेकर तकरार शुरु हो गई। वहीं दूसरी तरफ शबाना के परिवार को भी दोनों का ये रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि शबाना से उम्र में 10 साल बड़े गीतकार और लेखक जावेद अख्तर दो बच्चों के पिता भी थे लेकिन जब जावेद और हनी ईरानी साल 1978 में अलग हो गए तो शबाना का परिवार रिश्ते पर सहमत हुआ। 6 साल तक एक दूसरे को डेट करने के बाद साल 1984 में जावेद अख्तर और शबाना आजमी शादी के बंधन में बंधे। हालांकि शबाना और जावेद की कोई
संतान नहीं हैं लेकिन फऱहान और ज़ोया के साथ शबाना की बहुत अच्छी बॉन्डिंग हैं वे अक्सर ये साथ-साथ भी नज़र आते हैं। वहीं जावेद और शबाना अपने रिश्ते में पति पत्नी से ज्यादा अच्छे दोस्त हैं और यही उनके रिश्ते की मजबूती है।