टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा का आज 83वां जन्मदिन है। हमेशा जमीन से जुड़े रहने वाले इस शख्सियत की गिनती देश के सफल कारोबारियों में होती है।
रतन टाटा के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें-
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में गुजरात के सूरत में हुआ था।
रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं।
एक बड़े पूंजीपति परिवार से ताल्लुक रखने वाले रतन टाटा का बचपन अच्छा नहीं बीता। टाटा बहुत छोटे थे जब उनके मां-पिता अनबन के चलते अलग रहने लगे।
टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह मुंबई चले गए।
आगे चल कर उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर बीएस और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया।
रतन टाटा, टाटा ग्रुप के 5वें अध्यक्ष बनें। बता दें कि टाटा ग्रुप में महज 6 अध्यक्ष बने हैं जिसमें से 2 अध्यक्ष टाटा परिवार से नहीं है।
टाटा कंपनी तब कंट्रोवर्सी में आई जब उन्होंने अपने छठे अध्यक्ष साइरस मिस्त्री को कंपनी से बर्खास्त कर दिया। क्योंकि खबरों की मानें तो उन्हें करीब 30 साल के लिए अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन उन्हें महज कुछ वर्षों में ही निकाल दिया गया था। लेकिन इसकी वजह यह बताई गई कि साइरस मिस्त्री सिर्फ फायदे वाले बिजनेस पर ध्यान दे रहे थे और नॉन-प्रॉफिट बिजनेस बेचने लगे थे। साइरस मिस्त्री के हटाए जाने के बाद रतन टाटा ने अंतरिम चेयरमैन के तौर पर काम किया।
देश में पहली बार नमक बनाने का काम 1927 में गुजरात के ओखा में शुरू किया गया था जिसे जेआरडी टाटा ने 1938 में खरीद लिया था। टाटा नमक ने ही पहली बार देश 1984 में आयोडीन युक्त नमक लाया
साल 2008 में रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती एक लाख रुपये यानी लखटकिया कार नैनो पेश की। दरअसल टाटा ने यह सपना 1997 में ही देखा था जिससे महज 1 लाख रुपये में एक आम आदमी अपने कार के सपने को पूरा कर सके।
टाटा ग्रुप की 85 देशों में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं। इस ग्रुप का 70 फीसदी बिजनेस विदेश से आता है।
टाटा कंपनी ने एक लंबा सफर तय किया है। टाटा ग्रुप को 152 साल हो चुके हैं।
1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत हुई।
झारखंड के जमशेदपुर में टाटा ने अपना प्लांट बनवाया। वहां के लोगों और पूरे शहर की काया कंपनी के खुलते ही बदल गई जिसके बाद शहर का नाम भी लोग ‘टाटा’ कह कर पुकारने लगे। आज जमशेदपुर को लोग टाटा के नाम से भी जानते हैं।
टाटा को देश की पहली कंपनी भी कही जाती है जिसने पहली बार अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट तय की।
रतन टाटा को उनके व्यवसायी में दिए गए योगदान के लिए पद्म भूषण. पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।