महान भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी (Pt. Bhimsen Joshi) की आज 10वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। ख्याल गायकी में महारत, भारतीय शास्त्रीय संगीत के कोहिनूर, भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी ने 2011 में आज ही के दिन आखिरी सांस ली थी। हिंदी, कन्नड़ और मराठी संगीत में बराबर की दखल और पकड़ रखने वाले पंडित भीमसेन जोशी को अगर भारतीय शास्त्रीय संगीत का भीम कहा जाये तो गलत नहीं होगा।
किराना घराने की गायकी को एक नया मुकाम बख्शने वाले पंडित भीमसेन जोशी (Pt. Bhimsen Joshi) अपने प्रसिद्ध भक्तिरस में सराबोर भजनों के अलावा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा को’ लेकर भी जाने जाते हैं। उन्होंने इस गीत को अपनी आवाज देकर हर देशवासी को एक सूत्र में पिरोने का सुरीला संदेश दिया था।
भीमसेन जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 को कर्नाटक के ‘गड़ग’ में जन्में भीमसेन जोशी अपने 16 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता ‘गुरुराज जोशी’ स्थानीय हाई स्कूल के हेडमास्टर और कन्नड़, अंग्रेजी और संस्कृत के विद्वान थे। पंडित जोशी जब कम उम्र के थे तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया था। फिर सौतेली माता ने उनकी परवरिश की।
1972 में पद्रमश्री से सम्मानित हुए पंडित भीमसेन जोशी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से भी नवाजा गया। 1985 में मिले सुर मेरा तुम्हारा को आवाज देकर, राष्ट्रीय एकता की अपील करने वाला इस गीत को उन्होंने हमेशा के लिए अमर कर दिया।