स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
फिल्म जगत में ऐसी कई शख्सियतें हैं जो अपने वास्तविक नाम से ज्यादा पर्दे पर निभाए गए किरदार से दर्शकों के बीच अपनी पहचान बना चुकी हैं, अपने अभिनय के इन कलाकारों ने दर्शकों के दिलों में वो जगह बनाई है, जिसे कोई दूसरा कलाकार भर नहीं सकता। ऐसे ही एक सफल कलाकार और उम्दा अभिनय के धनी अभिनेता हैं पंकज कपूर, जिन्हें लोग उनके वास्तविक नाम से ज्यादा मुसद्दीलाल के रूप में पहचानते हैं। आज पर्दे के मुसद्दीलाल 67 साल के हो गए हैं, आईये उनके जन्मदिन के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें आपको बताते हैं।
शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर अभिनय जगत का एक ऐसा जाना पहचाना नाम हैं जो अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाफइ के चलते हमेशा सुर्खियों में शुमार रहे हैं। अभिनय ऐसा कि दिलों पर छाप छोड़ जाता है, किरदार को यूं जीते हैं कि फिर उस किरदार में कोई दूसरा कलाकार जंचता ही नहीं। इसीलिए तो उनकी गिनती अभिनय जगत के उम्दा कलाकारों में होती है।
इंजीनियरिंग के टॉपर रहे पंकज कपूर
29 मई 1954 को पंजाब के लुधियाना में पैदा हुए पंकज कपूर इंजीनियरिंग के टॉपर रहे हैं, लेकिन एक्टिंग के लिए दीवानगी के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग की फील्ड को छोड़ अभिनय जगत का रुख करने का मन बनाया और साल 1973 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने 4 साल थियटर किया और खुद को अभिनय जगत के लिए पूरी तरह तैयार किया। अभिनय की दुनिया में आज तक का मुकाम हासिल करने के पीछे पंकज कपूर की बरसों की मेहनत और इंडस्ट्री में उनका कई सालों का स्ट्रगल है। हताशा और निराशा की बजाय उम्मीद और मेहनत का दामन थामकर पंकज कपूर ने कामियाबी की जिस बुलंदी को हासिल किया है, वो औरों के लिए भी प्रेरणा है।
पहली फिल्म थी आरोहण
पंकज कपूर ने साल 1982 में आई श्याम बेनगल की फिल्म आरोहण से हिंदी सिनेमा में कदम रखा, इसके बाद ऑस्कर विजेता रिचर्ड अटेनबरो के निर्देशन में बनी फिल्म गांधी में पंकज कपूर ने प्यारेलाल का किरदार निभाया, फिल्म में उनका किरदार भले छोटा था, लेकिन उम्दा एक्टिंग के चलते दर्शकों ने उनके किरदार सराहा। इस फिल्म को 8 अवॉर्ड मिले। इसके बाद राख, एक डॉक्टर की मौत, मकबूल, धर्म, द ब्लू अमरेला जैसी फिल्मों में पंकज कपूर के दमदार अभिनय ने दर्शकों को उनकी एक्टिंग का मुरीद बनाया।
खलनायक के किरदार से भी दर्शक हुए मुरीद
उनकी बेहतरीन फिल्मों की बात करें तो विशाल भारद्धाज की फिल्म मकबूल में पंकज कपूर ने डॉन जहांगीर खान का किरदार निभाया था। फिल्म में उन्होंने का किरदार निभाया था। जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। साल 1983 में कुंदन शाह के निर्देशन में बनी फिल्म जाने भी दो यारों में भी पंकज कपूर एक भ्रष्ट बिल्डर तनेजा के किरदार में नजर आए, जो एक यादगार भूमिका थी। द ब्लू अमरेला फिल्म पंकज कपूर की बेस्ट फिल्मों में गिनी जाती है, रस्किन बॉंड की शॉर्ट स्टोरी पर बनाई गई इस फिल्म में पंकज कपूर ने एक दुकानदार का किरदार निभाया है जिसे एक बच्ची की नीली छतरी से प्यार हो जाता है। एक डॉक्टर की मौत भी फिल्म में भी पंकज कपूर के बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया । इस फिल्म में उन्होंने एक साइंटिस्ट का किरदार निभाया। अभिषेक और संजय दत्त स्टारर फिल्म दस में भी उनके खलनायक के किरदार को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। अभिनय के धनी इस अभिनेता ने जिस भी फिल्म में एक्टिंग की अपने किरदार को जीवंत पर्दे पर उतारा है और यही वजह है कि दर्शक उनकी एक्टिंग पर खुद बखुद वाह कहने को मजबूर हो जाते हैं।
आज भी याद किये जाते हैं करमचंद और मुसद्दीलाल
बड़े पर्दे पर अपने अभिनय का जादू बिखेनके वाले पंकज कपूर छोटे पर्दे के भी पसंदीदा कलाकार हैं। 80 के दशक में पंकज कपूर टीवी स्क्रीन के दमदार कलाकार थे। जिन्हें घर घर में पहचाना जाता था। फिर चाहें वो जासूसी सीरियल करम चंद का कर्म चंद्र हो या फिर ऑफिस ऑफिस के मुसद्दीलाल। वे छोटे पर्दे के जरिए भी लोगों का प्यार जीतने में सफल रहे। ऑफिस ऑफिस के मुसद्दीलाल का किरदार तो आज भी लोगों को खूब भाता है।
पर्सनल जिंदगी से भी खबरों में रहे
प्रोफेनल लाइफ की तरह ही अपनी पर्सनल लाइफ के चलते भी पंकज कपूर खबरों में रहे। प्रोफेशनल लाइफ की तरह ही उनकी पर्सनल लाइफ की तमाम उतार चढ़ावो से गुजरी। पंकज कपूर ने दो शादिंया की, पहली शादी साल 1975 में नीलिमा अजीम से की और दोनों को एक बेटा शाहिद कपूर हुआ, ये शादी ज्यादा वक्त नहीं चली और 9 साल बाद 1984 में दोनों की राहें अलग हो गईं। इसके बाद नीलिमा ने राजेश खट्टर और पंकज कपूर ने सुप्रिया पाठक से शादी की। पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक के दो बच्चे हैं बेटी सनाह कपूर और बेटा रुहान कपूर ।