उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कथित लव जिहाद के खिलाफ योगी सरकार के विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को शनिवार सुबह मंजूरी दे दी है। बिल के मसौदे को बुधवार को अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया था।
राज्यपाल से मिली मंजूरी के साथ ही यूपी में यह यह कानून प्रभावी हो गया है। अध्यादेश के अनुसार शादी के नाम पर अगर लड़की का धर्म बदला गया तो न केवल ऐसी शादी अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को दस साल तक जेल की सजा भी हो सकती है। आज से उत्तर प्रदेश में झूठ बोलकर, लालच देकर या किसी तरह का दबाव बनाकर छलपूर्वक अथवा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करना गैर जमानती अपराध माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश की सरकार को इसे 6 महीने के अंदर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा, जिसके बाद यह अध्यादेश कानून की शक्ल ले लेगा। नये कानून के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी और यह भी बताना होगा कि धर्म परिवर्तन किसी दबाव में तो नहीं किया जा रहा। या फिर किसी तरह का लालच या छल तो नहीं शामिल है।
अनुमति से पहले 2 महीने का नोटिस देना होगा। ऐसा न करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा होगी, वहीं कम से कम 10 हजार का जुर्माना भी देना होगा। अगर कोई सिर्फ लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए उसे शादी करेगा तो वह शादी शून्य मानी जाएगी, यानी उसे अमान्य माना जाएगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वालों को 3 साल से 10 साल तक की सजा हो सकती है। कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा में भी कथित लव जिहाद के मामलों को रोकने के लिए कानून का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।