बिहार में बात जब राजनीति की हो तो कर्पूरी ठाकुर, लालू यादव,नीतीश कुमार जैसे दिग्गज नेताओं की बात होती है लेकिन जब चुनाव सिर पर हो तो बात डॉन, बाहुबली और अपराधियों की भी जरूर होती है, जिनकी तूती बोलती थी। बिहार की सियासी जमीन पर देखा जाए तो कई ऐसे बड़े बाहुबली उभरे जिनके नाम से जनता खौफ खाती थी।
बिहार की राजनीति के केंद्र में कई बाहुबलियों का नाम हमेशा सुर्खियों में रहा है। आपको बताते हैं उन पांच बाहुबलियों के बारे में जिनसे जनता हमेशा ख़ौफ़ में रही।
सब से पहले बात बाहुबली शहाबुद्दीन की। हत्या के साथ संगीन अपराधों की कई धाराएं शहाबुद्दीन पर लगी। जेल में उन्होंने सजा भी काटी। वह हमेशा लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते रहे। खौफ का एक पर्याय बन गए थे शहाबुद्दीन। शहाबुद्दीन का नाम सुनते ही लोग पसीने से तर हो जाया करते थे।
एक और नाम जो बिहार की राजनीतिक पटल पर बहुत ही तेजी से उभरा वो है बिहार के मोकामा में सूरज भान सिंह का। रंगदारी अपहरण और हत्या जैसे संगीन अपराध उनके लिए एक आम बात थी फिलहाल वह जेल में है उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई है और वह चुनाव लड़ने की पाबंदी है।
एक और बड़ा नाम जो बिहार की सियासी जमीन पर बाहुबली नेता के रूप में उभरा था – आनंद मोहन। 1990 में राजनीति में आने वाले आनंद मोहन शिवहर क्षेत्र के बाहुबली कहलाते थे। आनंद मोहन पर गोपालगंज के डीएम की हत्या के आरोप रहे, जिसके लिए उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई। फ़िलहाल वो जेल की सलाख़ों के पीछे हैं।
बिहार के बाहुबलियों के नाम में बहुत बड़ा नाम है, अनंत सिंह। हत्या, रंगदारी जैसे संगीन अपराध में लिप्त अनंत सिंह, नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे।
अगला नाम है पप्पू यादव, बिहार के पूर्णिया जिले में अच्छी पकड़ रखते हैं। एक जमाने में लालू यादव के करीबी माने जाने वाले पप्पू यादव ने लालू यादव से राजनीतिक राहें अलग कर लीं। रंगदारी और हत्या जैसे संगीन आरोप झेलने वाले पप्पू यादव को जेल की सलाखें भी बखूबी पहचानती हैं। लोकसभा और विधान सभा दोनों का ही प्रतिनिधित्व कर चुके पप्पू यादव को लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन करने वाले सांसद के रूप में सम्मानित भी किया गया। 2015 में उन्होंने जन अधिकार पार्टी की स्थापना की थी। पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की नेता और पूर्व सांसद हैं।