तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान एक महीने से उपर से सड़क पर बैठे हैं। दिल्ली के बॉडर्स पर चल रहे आंदोलन से आये दिन किसानों की मौत की खबर आती है। लेकिन आंदोलन कर रहे किसानों के बीच मातम की एक गहरी चादर तब फैल गई जब एक उम्रदराज़ किसान की मौत की खबर गाज़ीपुर बॉर्डर से आई।
यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल एक बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह लाडी ने शनिवार सुबह गाजियाबाद नगर निगम के दिव्यांग शौचालय में फांसी लगा ली। रामपुर जिले के रहने वाले 70 वर्षीय कश्मीर सिंह, अपने बेटे और पोते के साथ पिछले काफी दिनों से आंदोलन में शामिल थे। उनका बेटा और पोता कई दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के लिए लंगर सेवा दे रहे थे। घटना स्थल पर किसान कश्मीर सिंह का सुसाइड नोट मिला है। भारतीय किसान यूनियन ने बताया है कि सुसाइड नोट में कश्मीर सिंह ने आत्महत्या के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ही हो दाह संस्कार
दरअसल, आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी को देखते हुए वह कई दिनों से परेशान थे। दो पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है, ‘कब तक हम इस ठंड में बैठे रहेंगे। सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। इसलिए, मैं अपनी जान दे रहा हूं जिससे कोई रास्ता निकले।’ सुसाइड नोट में कश्मीर सिंह ने यह भी लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार करें आंदोलन स्थल पर ही उनका पोता करे। सुसाइड नोट को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है।
चौबीस घंटे में दो मौतें
कश्मीर सिंह की मौत से एक दिन पहले ही यूपी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में एक अन्य किसान की मौत हो गई थी। शुक्रवार को यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल गलतान सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी।
कड़कड़ाती ठंड में पिछले 38 दिनों से आंदोलन में उतरे इन किसानों में से अब तक 30 से अधिक किसानों की मौत की खबर आ चुकी है। अधिकतर किसानों की मौत का कारण ठंड की वजह से तबीयत खराब होने से हुई है। वहीं कुछ किसानों ने आत्महत्या कर किसानों की आवाज़ बुलंद करने का प्रयास किया है।
संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली थी
बता दें कि पिछले साल (2020) दिसंबर में सिंघु बॉर्डर पर सिख धर्म गुरू संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली थी। उन्होंने भी सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाया था।