15 सितंबर को पूरी दुनिया international day of democracy यानि अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के रूप में मनाती है। क्यों और किस उद्देश्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई होगी, ये तो आप लोकतंत्र शब्द से समझ ही गए होंगे, आईये आपको इस दिन से संबंधित कुछ और खास बातें बताते हैं।
लोकतंत्र, जिसका अर्थ या कहें परिभाषा है जनता द्वारा जनता का शासन। लोकतंत्र की ये परिभाषा दी है प्रसिद्ध विचारक अब्राहम लिकंन ने, और इसी परिभाषा से विश्वभर की आवाम को अवगत कराने और लोकतंत्र के विस्तार व बढ़ावे के लिए दुनियाभर में 15 सितंबर को International Day of Democracy यानि अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई साल 2008 में, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में 8 नवंबर को एक प्रस्ताव पारित कर इस दिवस को मनाने की घोषणा की और फिर 2008 में 15 सितंबर को पूरी दुनिया ने पहला अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया। इस उद्देश्य के कि पूरी दुनिया में जनता द्वारा जनता का शासन या कहें सुशासन लागू हो सके। विश्वभर की आवाम समानता के अधिरकार के साथ जी सके, न कोई राजा हो-न कोई दास। प्रत्येक को अपने मत रखने का हक हो।
वैसे आज के दौर में देखा जाए दो लोकतंत्र का अर्थ वोट के अधिकार और चुनावी प्रक्रिया तक बंध कर रह गया है या ये कहें कि इसी आधार पर लोकतंत्र का निर्धारण होता है। उस लिहाज से भारत, अधिकार की इसी परिभाषा को सार्थक करता देश है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कह सकते हैं क्योंकि यहां एकसाथ 60 करोड़ की विशाल आबादी अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सरकार बनाती है, और जनता द्वारा चुनी हुई जनता की सरकार जनता के हित के लिए काम करती है। ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया के अंतिम छोर तक स्थापित हो, इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 15 सितंबर को अंतर्ऱाष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। ताकि लोग इस विषय के प्रति जागरुक हों, अपने अधिकार को समझें और लोकतंत्र मजबूत हो। इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने के लिए 15 सितंबर को विश्वभर के देशों में वाद-विवाद, चर्चा और सम्मेलन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और जनता को अपने अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों व मौजूदा
स्थिति से भी अवगत कराया जाता है।
आज भी विश्व में कई देश ऐसे हैं जहां मानवाधिकारों का हनन होता है, ताजा उदाहरणों में अफगानिस्तान की हालिया स्थिति को ले सकते हैं। ऐसे और भी देश हैं जहां, प्रत्येक व्यक्ति को अपना मत रखने, अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं दिया जाता। ऐसे देशों में भी लोकतंत्र
स्थापित हो सके, सृष्टि का हर मानव अपने मत को रखने का अधिकार पा सके, विश्व में लोकतंत्र की स्थापना हो सके और मानव, मानव के साथ, मानव के हितों के लिए मानवता का व्यवहार करे और संपूर्ण विश्व में बिना भेदवाभ वाले मानवीय संसार का निर्माण संभव हो, ऐसी उम्मीदों और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। जो कि एक कठिन लक्ष्य है लेकिन जागरुकता हर लक्ष्य को सार्थक बना सकती है।