स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
हर साल 13 अक्टूबर की तारीख को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस मनाती है, जानिए इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस, यानि प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप मानव पर कम से कम हो इसी विषय के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साल का एक दिन समर्पित है, 13 अक्टूबर, अब बहुत से लोगों के जहन में सवाल होगा कि प्राकृतिक आपका तो प्राकृतिक है, उसे रोका कैसे जा सकता है, या कम कैसे किया जा सकता है, ये तो संभव ही नहीं, लेकिन यदि आप ऐसा सोचते हैं तो ये गलत है, क्योंकि ज्यादातर प्राकृतिक आपदाओं के लिए जिम्मेदार भी इंसान ही है, जिन्हें कम करना बेशक हम इंसानों के ही वश में है। न हम प्रकृति से खिलवाड़ करें, ना प्रकृति का प्रकोप हम पर कहर बन कर टूटे। बस इसी के बात को सरल-सहज समझाने की कोशिश ये एक दिन करता है।
प्रदूषण से बोझिल होता पर्यावरण, अंधाधुंध पेड़ो, जगंलों, वनों का कटना, मिट्टी का क्षरण, उपजाऊ मिट्टी में अति से ज्यादा रसायनों-कीटनाशकों का इस्तेमाल, ऐसी तमाम इंसानी गतिविधियों ने प्रकृति को तो जख्मी किया ही है, खुद के वजूद के लिए भी भयंकर खतरा खड़ा किया है। यदि हम अब भी न संभले तो प्राकृतिक आपदाएं हर दिन हमें प्रभावित करेंगी। भूस्खलन, बाढ़, सूखा, असहनीय गर्मी, हाड़
कंपाती ठंड, चक्रवाती तूफानों की बढ़ती गिनती, कहीं बेहिसाब बारिश तो कहीं बूंद – बूंद को तरसती रेत…. इन सबको हम भले प्राकृतिक आपदाओं का नाम दें, लेकिन सूत्रधार तो हम इंसान ही हैं, जिन्होंने प्रकृति के संतुलित चक्र को यूं असंतुलित किया है कि प्रकृति का प्रेमपूर्ण व्यवहार अब प्रकोप में परिवर्तित हो चला है।
विश्व के हर इंसान को प्राकृतिक आपदाओं की इसी वास्तविकता से रूबरू कराने के उद्देश्य से साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा international natural disaster reduction day यानि प्राकृतिक आपदा नियंत्रण दिवस की शुरुआत की गई, और इसके लिए 13 अक्टूबर की तारीख को चुना गया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है इंसानी गतिविधियों के चलते पर्यावरण में होने वाले बदलावों के परिणामों से हर किसी को अवगत कराना, ताकि बिन बुलाई मुसीबतों के लिए हर कोई पहले से सतर्क हो सके। वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों को इससे निपटने के लिए आगे आने और उनके प्रयासों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि वे इस खतरे को समझ सकें, जिसके कारण लोगों को जान-माल का नुकसान हुआ है। यही लोग जागरूकता बढ़ाने के अभियानों में शामिल होने के लिए दूसरों को प्रोत्साहित करते हैं और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस पर स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। साथ ही सोशल साइट्स के जरिए भी जागरुकता कार्यक्रम किए जाते हैं।
विश्व के सभी देशों द्वारा लोगों को इस विषय के प्रति अवगत कराने के साथ साथ प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में बचाव के लिए भी प्रक्षिक्षण दिया जाता है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जान-माल के नुकसान को भी कम किया जा सके। अब इस विषय को लेकर बाद हिन्दुस्तान की करे तो अपने देश में विश्व के दूसरे देशों के मुकाबले आपदाओं का कहर जितना ज्यादा टूटता है यहां उनसे निपटने के उपायों पर काम उतनी ही धीमी रफ्तार से होता है। ऐसे में भारत में इश विषय के प्रति प्रत्येक को ज्यादा जागरुक होने की जरूरत है, कि आपदा से कैसे बचें, आपदाओं को कम करने में हम अपनी भागीदारी कैसे दे, और आपदाओं के दौरान किस प्रकार काम करें कि जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके। हर साल एक खास विषय के साथ मनाए जाने वाले इस दिन का फोकस इस बार जिस विषय पर रहेगा वो है “International cooperation for developing countries to reduce their disaster risk and disaster losses.”