पश्चिम बंगाल में चुनाव के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए नये-नये हथियार आजमा रही है। सियासी वादों के बीच बंगाली अस्मिता और उसके असली झंडाबरदार को लेकर खिंचतान पूरे जोर पर है। और तो और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम को भूनाने को लेकर भी पूरी आजमाइश की जा रही है। नेता जी की जयंती करीब आते ही तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच यह रस्साकशी चल रही है कि कौन इसे बेहतर ढंग से मनाता है। बंगाल में तमाम लोग अब भी मानते हैं कि नेताजी की मौत 1945 में ताइवान में हुई विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। भाजपा ने नेता जी की जयंती को पराक्रम दिवस मनाने का एलान किया और अगले ही दिन एक और घोषणा कर डाली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की 124 वीं जयंती पर भारतीय रेलवे ने कोलकाता के हावड़ा से दिल्ली होकर कालका तक जाने वाली कालका मेल एक्सप्रेस का नाम बदल दिया है। हावड़ा-कालका मेल का नाम बदल कर नेताजी एक्सप्रेस कर दिया है।
मंगलवार को रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर कोचिग राजेश कुमार ने इससे जुड़ा आदेश जारी दिया। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। रेल मंत्री ने अपने ट्विटर संदेश में लिखा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर पहुंचा दिया. मैं ‘नेताजी एक्सप्रेस’ की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं।
बता दें कि एक जनवरी, 1866 में शुरू होने वाली हावड़ा-कालका मेल भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेनों में से एक है। दरअसल पहले इस ट्रेन का नाम 63 अप हावड़ा-पेशावर एक्सप्रेस था। 18 जनवरी, 1941 को फिरंगियों को चकमा देकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस इसी ट्रेन पर सवार होकर गोमो जंक्शन से निकले थे। 80 साल पहले जिस ट्रेन में बैठकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस गुम हुए थे, अब वो ट्रेन नेताजी की याद में नेताजी एक्सप्रेस बनकर चलेगी।
23 जनवरी, 2009 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने गोमो जंक्शन का नामकरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो किया था।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों का ऐलान चुनाव आयोग कभी कर सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के वोटरों को लुभाने के लिए कई कदम उठा रही है।