1- सैफ अली खान की वेब सीरीज तांड़व को लेकर काफी तांडव हो रहा है, एजमोन प्राइम वीडियो पर इस वेब सीरीज के रिलीज होने के बाद से उसमें दिखाए गए कंटेंट को लेकर शुरु हुआ विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। बीजेपी नेता समेत कई संगठन इस सीरीज के बैन की मांग कर रहे हैं। इसी बीच इस सीरीज को लेकर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने अमेजन प्राइम वीडियो के अधिकारियों को तलब किया है और आज इस पर जवाब मांगा है। तांडव में हिंदू देवताओं के अपमान का आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक राम कदम ने घाटकोपर पुलिस स्टेशन में इसके निर्माताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि इस वेब सीरीज के एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उत्तर-पूर्वी मुंबई से सांसद मनोज कोटक का कहना है कि ऐसे मंचों पर अक्सर हिंदू देवी-देवताओं को गलत तरीके से दिखाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने शिकायत की है कि तांडव वेब सीरीज में हिंदू देवी-देवताओं का जानबूझकर मजाक उड़ाया गया है और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का अपमान किया है, इसलिए हमने इस वेब सीरीज पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। डायरेक्टर अली अब्बास जफर की राजनीति पर आधारित इस सीरीज में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर, तिग्मांशु धूलिया, डिनो मोरिया, कुमुद मिश्रा, मोहम्मद जीशान अय्यूब, गौहर खान और कृतिका कामरा ने अभिनय किया है, शुक्रवार को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर इस सीरीज का प्रीमियर हुआ है।
2- DDCD डायलाग एंड डवलपमेंट कमीशन आफ दिल्ली ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर स्टडी कर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में शिक्षा स्तर काफी सुधरा है। रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावक इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं और 95 फीसदी अभिभावकों ने माना है कि दिल्ली की शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार हुआ है। शिक्षा में आए इस सुधार के चलते दिल्ली सरकार के स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है जबकि ठीक इसके उलट नगर निगमों के स्कूलों में बच्चों की गिनती घट रही है। DDCD की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में नगर निगमों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 8 लाख 72 हजार थी जो 2019 में 7 लाख 32 हजार रह गई यानि चार साल में नगर निगम के स्कूलों से 1 लाख 40 हजार बच्चे कम हुए, इसके अलावा बीते 9 साल में दिल्लीमें नगर निगम के 109 स्कूल बंद हुए। वहीं दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2015 2019-20 के बीच करीब 1 लाख 40 हजार छात्र बढ़े हैं। शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों की वजह से ही ये संभव हुआ है।
3- पश्चिम बंगाल में टीएमसी और भाजबा के बीच रार जारी है, जो अब कोविड टीके को लेकर फिर भड़क उठी है। रविवार को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में सत्तारुढ़ पार्टी तृणमूल पर आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार द्वारा फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स के लिए भेजे गए टीके राज्य सरकार के कई पार्टी कार्यकर्ताओं को लगाए गए हैं। इसलिए राज्य में कीटे की खुराक कम पड़ गई। राज्य में कई हैल्थ वर्कर्स ने शिकायत की कि उन्हें उन्हें टीका लगवाने के लिए बुलाया गया था लेकिन नहीं लगाया गया। बीजेपी का कहना है कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के पहले दिन राज्य के पूर्व बर्द्धमान जिले में दो विधायकों समेत कई टीएमसी नेताओं को शनिवार को टीका लगाया गया, जबकि ये टीके हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइऩ वर्कर्स के लिए थे। प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, “केंद्र सरकार ने जो टीके भेजे थे, वे स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के अन्य कर्मियों के लिए थे, जो महामारी में समाज की सेवा कर रहे हैं। ये खुराकें नेताओं के लिए नहीं थीं।” वहीं टीएमसी का आरोप है कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल को कोविड टीके की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर रही है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि बंगाल को पहले चरण में टीके की 10 लाख से ज्यादा खुराकें मिलनी चाहिए थी लेकिन अब तक 6.89 लाख ही मिली है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में अप्रैल –मई में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसी के चलते हर मुद्दे पर वार-पलटवार का दौर जारी है।
4- दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर आज 18 जनवरी को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें किसानों द्वार 26 जनवरी के लिए घोषित की गई ट्रेक्टर या ट्रॉली मार्च पर रोक लगाने की गुजारिश की गई है। सुप्रीम कोर्ट आज इस याचिका पर विचार करेगा, साथ ही पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसमें से एक सदस्य ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है, आज होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस विषयपर भी बात कर सकती है। बता दें कि कृषि कानूनों पर गतिरोध को खत्म करने के लिए बनाई गई कमेटी 19 जनवरी को पूसा में अपनी पहली बैठक करेगी, जिसमें केवल समिति सदस्य ही शामिल होंगे। इसी बीच महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के प्रमुख और उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने कहा है कि शेतकरी संगठन साल 1960 से कृषि क्षेत्र में इऩ सुधारों की मांग कर रहा था, अब अगर ये कानून वापस हुए तो 100 साल तक कोई सरकार कानून लाने की हिम्मत नहीं करेगी, इसलिए स्टेट वाइज किसानों की चिंताओं पर विचार होगा और कमियां दूर की जाएंगी। वहीं दूसरी ओर कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। रविवार को महाराष्ट्र, नागपुर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ मई 2024 तक प्रदर्शन के लिए तैयार है। हमारी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी।
5- पहाड़ों में हो रही लगातार बर्फबारी ने जहां कई पहाड़ी क्षेत्रों को बर्फ की सफेद चादर से ढंक दिया है तो वहीं इस बर्फबारी और शीतलहर का असर उत्तर भारत में साफ नजर आ रहा है। दिल्ली एनसीआर पर घने कोहरे की मार के साथसाथ उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में सर्दी भी अपने चरम पर है। दिल्ली एनसीआर में तो इतनी जबरदस्त ठंड पड़ रही है कि तापमान न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। पश्चिमी राजस्थान के चुरु में भी सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, उत्तर प्रदेश में कुछ इलाकों में घने कोहरे की संभावना अभी अगले दो-तीन दिनों तक बनी रहेगी और शीत लहर के चलते न्यूनतम तापमान में और गिरावट होने की संभावना है। उत्तर भारत में रिकॉर्ड़ सर्दी के साथ साथ दक्षिण भारत में जनवरी के महीने में रिकॉर्ड बारिश हो रही है। आइएमडी ने तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के आसपास के क्षेत्रों में 19 जनवरी तक बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं, अभी तक पूरे तमिलनाडु राज्य में जनवरी की रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है। तमिलनाडु के 37 जिलों में 1 से 14 जनवरी के बीच जनवरी में सबसे अधिक बारिश हुई है।