1- कोरोनावायरस के तीसरी लहर के बच्चों पर ज्यादा असर की आशंकाओं को देखते हुए बुधवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जारी की गई गाइडलाइन्स में कहा गया है कि वयस्क कोरोना संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं को बच्चों के इलाज के लिए के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा क्योंकि कोरोना संक्रमित बच्चों पर इन दवाओं का ट्रायल नहीं किया गया है। साथ ही संक्रमण के गंभीर लक्षणों वाले बच्चों के इलाज के लिए कोविड सेंटर्स की मौजूदा कैपेसिटी को बढ़ाने और जरूरी मेडिकल इक्यूपमेंट्स और संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा बच्चों के वैक्सीन को मंजूरी मिलते ही ऐसे बच्चों का वैक्सीनेशन पहले कराने की बात कही गई है, जो पहले से किसी गंभीर शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसी आशंकाएं हैं कि अगले तीन-चार महीने में संक्रमण की तीसरी लहर में मामले बढ़ सकते हैं जिसे देखते हुए सरकार ने कोरोना देखरेख केंद्रों के संचालन के लिए ये दिशा-निर्देश तैयार किए हैं।
2- सोशल मीडिया पर हाल ही में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था, इसी वीडियो को लेकर यूपी, गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी और स्वरा भास्कर के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराकर इन पर रासुका के तहत कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इन तीनों ने एक भ्रामक पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। विधायक का कहना है कि 5 जून को लोनी क्षेत्र में हुई इस घटना में पुलिस ने जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी, जिसके बाद राहुल गाधी, ओवैसी और एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर भ्रम फैलाने की कोशिश की। घटना में श्रीराम
का जिक्र करते हुए इसे सांप्रदायिकता से जोड़ने की कोशिश की गई, जबकि घटना में मुस्लिम युवक भी शामिल थे। विधायक का कहना है कि कृत्य के जरिए लोनी सहित प्रदेश और देश में दंगे करवाने और सरकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश की गई है इसलिए इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
3- कांग्रेस के नेशनल कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी के एक ट्वीट से ऐसा बवाल मचा कि भारत बायोटेकऔर केन्द्र सरकार को इस पर सफाई देनी पड़ी। दरअसल सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से सूचना के अधिकार के जरिए ये जानकारी मिली कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन बनाने में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया है। गौरव पांधी ने RTI के यही दस्तावेज ट्विटर पर शेयर किए और लिखा कि, मोदी सरकार ने मान लिया है कि कोवैक्सिन बनाने में नवजात बछड़े का सीरम शामिल है। इस ट्वीट के बाद जब सोशल मीडिया पर बवाल मचा तो स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक ने इस पर सफाई दी। जिसमें कहा गया कि फेक्ट्स को घुमा फिराकर बताया जा रहा है। नवजात बछड़े का सीरम विरो सेल्स की संख्या बढ़ाने में होता है और ये साइंटीफिक प्रक्रिया दुनियाभर में अपनाई जाती है। सिर्फ कोविड वैक्सीन ही नहीं बल्कि पोलियो, रेबीज और इनफ्लुएंजा वैक्सीन भी इसी प्रक्रिया के जरिए तैयार की जाती है।
4- ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन लेने से डर लग रहा है, ये खबर खास उनके लिए है। अपोलो हॉस्पिटल की ओर से कराई गई एक नई स्टडी में ये सामने आया है कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन एक प्रवाभी और मजबूत सुरक्षा कवच है। ये स्टडी देश के अलग-अलग सेंटर्स पर काम कर रहे हेल्थ वर्कर्स पर 16 जनवरी से 30 मई के बीच की गई, जिसके नतीजे कल बुधवार को जारी किए गए। वैक्सीन की दोनों डोज या कोविशील्ड और कोवैक्सीन में किसी न किसी की एक डोज ले चुके 31 हजार 600 हेल्थ वर्कर्स पर की गई इस स्टडी में पाया गया है कि 95 फीसदी से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स वैक्सीन लेने की वजह से संक्रमण से बच गए, सिर्फ 4. 28 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी ही संक्रमण की चपेट में आए।
5- कोविड संक्रमण की दूसरी लहर ने देशभर में जो हाहाकार मचाई उनके हर किसी को कंपा दिया। दूसरी लहर के इस कहर में मरीजों को संक्रमण से बचाते हुए खुद संक्रमित हुए डॉक्टर्स में देश के 730 डॉक्टर्स कोरोना का शिकार हुए। IMA यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ये जानकारी देते हुए बताया कि इनमें सबसे ज्यादा 130 डॉक्टर बिहार में और उसके बाद 109 फ्रंटलाइन वर्कर्स दिल्ली में कोरोना संक्रमण की जंग में शहीद हुए हैं। वहीं तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 79 डॉक्टरों ने संक्रमण काल की दूसरी लहर में अपनी जिंदगी गंवाई। देशभर में कोरोना काल में शहीद हुए 730 डॉक्टर में राजस्थान में 43, झारखंड में 39, गुजरात में 37, महाराष्ट्र में 23, मध्यप्रदेश में 16, छत्तीसगढ़ में 5 और हरियाणा व पंजाब में 3-3 डॉक्टर्स महामारी के दौरान संक्रमण के चलते मौत का शिकार हुए।