1- गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रेक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद बुधवार को किसान नेताओं ने एक फरवरी को होने वाली संसद मार्च पर एक अहम फैसला लिया। ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुए बवाल के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया है कि वे एक तारीख के लिए तय किए गए संसद तक पैदल मार्च को नहीं करेंगे। हालांकि कि ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और पुलिस व किसानों की बीच झड़प को लेकर किसान नेताओं ने कहा है कि ये सब आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार की साजिश थी। पंजाब किसान मजदूर समिति, जो कि आंदोलन का हिस्सा है कि नहीं, सरकार ने उसेपरेड में आगे रखा। इशी संगठन के लोगों ने परेड के दौरान हंगामा किया जो कि सरकार और इस संगठन की मिलीभगत थी। किसान नेताओं ने कहा कि हम गणतंत्र दिवस के दिन घटी इस घटना पर खेद प्रकट करते है और बिना किसी कसूर के देश से माफी भी मांगते हैं॰ लेकिन संयुक्त मोर्चा का आंदोलन जारी रहेगा। आगे की रणनीति बताते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 30 जनवरी को देशभर में आंदोलन की तरफ से जनसभाएं की जाएंगी और किसान एक दिन का अनशन भी करेंगे लेकिन फिलहाल 1 जनवरी को किया जाने वाला संसद तक पैदल मार्च रद्द कर दिया गया है औऱ ये कब होगा, इसके लिए आगे की तारीख भी तय नहीं की गई है।
2- कोरोना महामारी के चलते इंसानी जिंदगी ठहर सी गई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे सबकुछ वापस पटरी पल लौट रहा है, स्कूल-कॉलेज और दफ्तर आदि भी खुलने लगे हैं, इसी बीच केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसी विभिन्न गतिविधियों को बहाल करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, जिन्हें अभी तक शुरु नहीं किया गया था। इन दिशा-निर्देशों में आरोग्य सेतु एप के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया है। जारी की गई गाइडलाइन्स के मुताबिक सिनेमा हॉल ज्यादा क्षमता के साथ खोले जा सकेंगे और स्विमिंग पूल्स को भी खोलने की इजाजत दे दी गई है। सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में कंटेनमेंट जोन के बाहर सभी प्रकार की गतिविधियों को, जो कोरोना के चलते रोक दी गई थी उन्हें बहाल करने की परमिशन दे दी गई है। सामाजिक, धार्मिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए राज्यों की एसओपी के तहत अनुमति दी जाएगी। राज्य के अंदर और एक राज्य से दूसरे राज्य तक यात्रा व सामान ठुलाई पर कोई पाबंदी नहीं होगी, ना ही इसके लिए किसी तरह की किसी परमिशन की जरूरत होगी। गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देश 1 फरवरी से 28 फरवरी तक लागू रहेंगे।
3- हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि स्किन से स्किन का कॉन्टेक्ट किए बिना नाबालिग की बेस्ट छूना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। अब सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाई है। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा आरोपी को बरी करने के आदेश पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने 19 जनवरी 2021 को पारित किए इस आदेश में कहा था कि यौन उत्पीड़न माने जाने के लिए यौन मंशा से स्किन का स्किन से कॉन्टेक्ट होना जरूरी है, केवल छूने भर को यौन हमला या उत्पीड़न की परिभाषा नहीं है। कोर्ट ने इस अपराध को पॉक्सो एक्ट के बाहर बताया था। जिसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के इश फैसले में पर काफी विवाद शुरु हो गया था। नागरिक संगठनों औऱ कई नामी हस्तियों ने कोर्ट के इस फैसले की आलोचना की थी। दरअसल एक 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के मामले में 39 साल के एक व्यक्ति को सैशन कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन 19 जनवरी को हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने इस मुकद्दमे की सुनवाई के दौरान एक आदेश पारित कर कहा कि हाई कोर्ट ने कहा कि बच्ची के कपड़े उतारे बिना, उसकी बेस्ट को छूना यौन हमला नहीं माना जा सकता, हां ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अब विवादों में उलझे इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
4- सैफ अली खान की वेब सीरीज को लेकर हो रहा तांडव उसे सुप्रीम कोर्ट तक खींच ले गया। दरअसल तांडव के मेकर्स और ऐक्टर्स ने ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, इस याचिका में इन्होंने अपने खिलाफ दर्ज हुए मामलों में राहत देने की मांग की थी साथ ही अंतरिम जमानत की भी गुजारिश की थी लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तांडव फिल्म के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने या अंतरिम जमानत देने से इनकरा कर दिया है। याचिकाकर्ताओं के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट से कहा कि सीरीज के निर्देशक का शोषण किया जा रहा है, क्या इस तरह से देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं हैं, कुछ मामलों में इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर खारिज कराने के लिए याचिकाकर्ताओं को राज्यों के हाईकोर्ट जाना चाहिए। बता दें कि तांडव वेब सीरीज के खिलाफ कई राज्यों में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई हैं। जिसके बाद फिल्म मेकर्स ने लिखित माफी मांगी है और विवादित सीन्स को एडिट भी कर दिया है, इसबे बाद भी 6 राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं। जिससे रात पाने के लिए मेकर्स और एक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन राहत नहीं मिली।
5- एक तरफ भारत और चीन के बीच महीनों से सीमा विवाद चल रहा है तो दूसरी तरफ चीनी ऐप्स पर कढ़ा रुख अखतियार करते हुए भारत सरकार ने टिकटॉक, वी चैट और यूसी ब्राउजर समेत 59 चीनी ऐप्स को भारत में बैन किया है, जिसके बाद अब मुआवजे को लेकर चीन का रोनाशुरु हो गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसे लेकर एक ताजा नोटिस जारी किया है, जिसके मुताबिक भारत सरकार द्वारा बैन किए गए सभी 59 चीनी ऐप्स पर बैन को परमानेंट किया जा रहा है। भारत सरकार ने इन ऐप्स को परमानेंट बैन करने का फैसला कंपनियों के जवाब से असंतुष्ट होने के बाद लिया है। दरअसल इन ऐप्स के जरिए डेटा इकट्ठा किया जा रहा था, जिसे लेकर भारत सरकार ने सवाल उठाए थे, और इन कंपनियों से सफाई मांगी थी, लेकिन अपनी सफाई में कंपनियों ने जो जवाब दिए, उनसे सरकार संतुष्ट नहीं है, इसलिए सभी 59 प्रतिबंधित ऐप्स को परमानेंट बैन कर दिया गया है। इन ऐप्स के भारत में पाबंद होने से चीनी कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिससे बौखलाकर चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि जिन चीनी कंपनियों के ऐप्स को बैन किया गया है उन्हें भारत सरकार से मुआवजे की मांग करनी चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने सीमा विवाद पर अपना गुस्सा उतारने के लिए यह कदम उठाया है। इस अखबार में औऱ भी कई ऐसी बातें लिखीं हैं जिनसे साफ जाहिर होता है कि ऐप्स के बैन होने से चीन बौखला गया है।