आज गुरुवार है, तारीख 2 दिसंबर; अगहन मास, कृष्ण पक्ष और त्रयोदशी तिथि
1- दक्षिण अफ्रीका में मिला कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ऑमिक्रॉन, जो डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा घातक माना जा रहा है, और अब तक 23 देशों में फैल चुका है और फुली वैक्सीनेटेड और बूस्टर डोज ले चुके लोगों को भी प्रभावित कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि इसमें संक्रमण के बढ़ने का जोखिम ज्यादा है। WHO चीफ डॉ. टेड्रोस गेब्रीयस ने कहा कि वैक्सीनेशन और टेस्ट के कम आंकड़ों से भविष्य में कोरोना के कई अन्य वैरिएंट सामने आएंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए और इस वैरिएंट से निपटने की तैयारी में जुटे सीरम इंस्टीट्यूफ इंडिया ने डीजीसीआई से कोविशील्ड की बूस्टर डोज बनाने की इजाजत मांगी है। सीरम इंस्टीट्यूट में गवर्नमेंट एंड रेगुलेटरी अफेयर्स के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने बताया कि इस संबंध में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को आवेदन पत्र भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब देश में कोविशील्ड की वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। ऐसे में दोनों डोज लगवा चुके लोग कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए बूस्टर डोज लगवाने की मांग लगातार कर रहे हैं। इसके चलते लोगों को बूस्टर डोज लगाने की अनुमति जल्द से जल्द दी जानी चाहिए। बता दें कि दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी के प्रभाव को देखते हुए वैक्सीन की दो डोज लगाने के बाद बूस्टर डोज देनी शुरु कर दी है, तो कई देशों में इस पर विचार भी किया जा रहा है, भारत में भी वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग संक्रमण के असर को देखते हुए बूस्टर डोज की मांग कर रहे हैं।
2- कोरोना के नए वैरिएंट ऑमिक्रोन के प्रति सचेतता बरतते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन्स जारी की हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए अलग से गाइडलाइन्स जारी की तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा कि, देशभर में एक ही गाइडलाइन हो ताकि यात्रियों को दिक्कत न हो। इस बावत केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने महाराष्ट्र के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होने कहा है कि हवाई यात्रियों को लेकर जो नियम महाराष्ट्र सरकार ने तय किए हैं, वह केंद्र के नियमों से एकदम भिन्न हैं। यह सही नहीं है। राज्यों के नियम केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही रहने चाहिए, इसलिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइन को ही अमल में लाया जाए।
3- मुबंई दौरे पर पहुंची पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बेनर्जी ने शरद पवार से मुलाकात पर जब कहा कि अब यूपीए नहीं रहा तो कांग्रेस ने ममता के इस बयान पर खासी नाराजगी जाहिर करते हुए पलटवार किया। दरअसल कल, बुधवार को ममता बनर्जी ने मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ममता बातों बातों में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर कोई कुछ करते नहीं हैं, विदेश में रहते हैं तो कैसे चलेगा, उन्होंने कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अगर कोई लड़ते नहीं हैं तो हम क्या करेंगे? वैकल्पिक ताकत की बात होनी चाहिए, यूपीए क्या? अभी यूपीए नहीं है। ममता के इस बयान पर जवाबी पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, यूपीए क्या है ये ममता को नहीं पता, मुझे लगता है कि ममता ने अब ज्यादा पागलपन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, उनको लगता है कि पूरा हिंदुस्तान ममता- ममता कर रहा है, लेकिन बंगाल ममता नहीं है और ममता बंगाल नहीं हैं, बीजेपी और ममता दोनों मिले हुए हैं मिले सुर मेरा-तुम्हारा तो सुर बने हमारा, यही ममता और बीजेपी का है; उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ममता की ताकत आज बढ़ गई है क्योंकि ममता के पीछे मोदी जी हैं।
4- आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में कांग्रेस की मेजबानी कर रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी मेहनत-मशक्कत से पूरे राज्य में कांग्रेस की पकड़ को एक बार फिर मजबूत करने की कोशिश की है, अब ये मेहनत कितना रंग लाती है, ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे, हां फिलहाल प्रियंका चुनाव से पहले के माहौल में कांग्रेस का मुखड़ा चमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहीं, क्योंकि प्रियंका का कहना है कि, उत्तर प्रदेश मेरे दिल के बेहद करीब है और मैं यहां के विकास के लिए काम करती रहना चाहूंगी। अपने एक इंटरव्यू के दौरान उत्तर प्रदेश पर बात करते हुए प्रियंका ने कहा, उत्तर प्रदेश में महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं के साथ साथ महिलाओं की सुरक्षा और सक्शक्तीकरण, दलितों और कमजोर वर्गों पर अत्याचार, भ्रष्टाचार, खराब कानून व्यवस्था और कोरोना के दौर में कुप्रबंधन से हुई मौतें अहम चुनावी मुद्दे हैं, जिनपर खास ध्यान देते हुए कांग्रेस विकास की राह पकड़ेगी। तीन महीने बाद यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा पर सवाल किया गया तो प्रियंका ने इंतजार की बात कही।
5- साल 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कई राज्यों में सियासी सरगर्मियां जोरों पर हैं, इसी बीच पंजाब में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपना दाव खेला है औऱ दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान और पार्टी के तेजतर्रार प्रवक्ता, मनजिंदर सिंह सिरसा ने कल बुधवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा देते हुए गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा। अपने पद से इस्तीफे को लेकर सिरसा ने कहा है कि उन्होंने निजी कारणों से प्रधान पद से त्यागपत्र दिया है। हालांकि सिरसा के पद छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के बाद शिरोमणि अकाली दल में हड़कंप मच गया है, अकाली दल के लिए ये एक बड़ा झटका है क्योंकि उनके भाजपा में चले जाने से पंजाब में अकाली दल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सिरसा के अलावा, अकाली दल छोड़कर कुछ वक्त पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए परमिंदर सिंह बराड़ ने भी कांग्रेस छोड़ कल बीजेपी से हाथ मिलाया। परमिंदर सिंह बराड़, अकाली दल के स्टूडेंट विंग एसओआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, जिन्होंने थोड़े दिन पहले ही कांग्रेस ज्वाइन की थी लेकिन अब भाजपा का दामन थामा है। बता दें कि तीन महीने बाद राज्य में चुनाव हैं और भाजपा को पूरी उम्मीद है कि पार्टी को मिल रही इस मजबूती से आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका काफी भी फायदा मिलेगा।
6- सालभर से सुर्खियों में छाए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने पर कल बुधवार को संसद में फाइनल स्टेंप लगी। वैसे पीएम मोदी अपने देश के नाम संबोधन में गुरु पर्व के मौके पर ही कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर चुके थे जिसके बाद, शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि कानून की वापसी के लिए लाए गए बिल पर साइन किए और तीनों कृषि कानून कल, बुधवार को ऑफिशियल तौर पर वापस हो गए। बता दें कि ये बिल सोमवार को शुरू संसद के शीतलकालीन सत्र के पहले दिन महज 4 मिनट के अंदर लोकसभा में पास हो गया था, जबकि विपक्ष इस पर चर्चा की मांग कर रहा था। कल, बुधवार को भी सत्र का तीसरा दिन काफी हंगामे भरा रहा, क्योंकि 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी दल भड़के हुए हैं और निलंबन को रद्द करने की मांग की जा रही है। हालांकि सभापति ने निलंबित सांसदों से माफी मांगने पर फैसला वापस लेने की बात कही है लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है। विपक्षी नेताओं के हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित की गई और दोपहर 3 बजे के बाद भी हंगामा शांत न होने पर राज्यसभा की कार्यवाही आज गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।