आज सोमवार है, तारीख 22 नवंबर; मार्गशीर्ष मास, कृष्ण पक्ष और तृतीया तिथि
1- राजस्थान में कल, रविवार को हुए मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद भी कलह खत्म होती नजर नहीं आ रही, मंत्रिमंडल विस्तार में महिलाओं को ज्यादा पद नहीं मिले, जिसकी वजह से विधायक शफिया जुबैर खासी नाराज हैं, उनका कहना है कि ऐसे नेता जिनकी छवि खराब है उन्हें प्रमोट किया गया है और कैबिनेट में महिलाओ को भी 33 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिला है, तो वहीं दूसरी तरफ उदयपुर के खेरवाड़ा से विधायक दयाराम परमार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम पत्र लिखकर सवाल किया कि मंत्री बनने के लिए विशेष काबिलियत क्या है? कृपया बताने की कृपा करें। उन्होंने सीमए के नाम पत्र जारी किया जिसमें लिखा, महोदय, निवेदन है कि मंत्रीमंडल गठन के बाद ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है। कृपया हमें बताने की कृपा करें कि विशेष काबिलियत क्या है? ताकि उसको हासिल करके भविष्य में मंत्री बनने की कोशिश की जा सके। बता दें कि राजस्थान सरकार में कल रविवार को ही मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के चंद घंटों बाद विरोध के सुर उठने शुरु हो गए हैं, कल के शपथ ग्रहण समारोह में 15 विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ ली है, इनमें छह वरिष्ठ विधायकों डॉ जितेंद्र सिंह, बाबूलाल नागर, राजकुमार शर्मा, संयम लोढ़ा, रामकेश मीणा और दानिश अबरार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सलाहकार बनाया गया है।
2- शुक्रवार, 19 नवंबर को पीएम द्वारा कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की गई, जिसके बाद सियासी गलियारों के साथ-साथ आम लोगों में भी चर्चा होने लगी कि कानूनों की वापसी के पीछे मोदी सरकार की क्या रणनीति रही होगी। किसी ने इसे किसानों की जीत कहा तो किसी ने सत्ताधारियों की चाल, विपक्ष ने भी अपने तरह से मुद्दे पर अपने विचार रखे लेकिन इसी बीच IANS-CVoter ने सरकार के इस फैसले के कुछ घंटों बाद एक सर्वे किया, इस सर्वे से साफ हुआ कि देश की जनता मोदी सरकार के कृषि कानून वापसी के फैसले को किस नजर से देख रही है। सर्वे में 52 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना कि कृषि कानूनों की वापसी मोदी सरकार का सही फैसला है, इमनें 50 फीसद से ज्यादा लोगों ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद और 30 फीसदी से ज्यादा ने गलत बताया। 40 फीसद से ज्यादा लोगों ने कृषि कानूनों की वापसी का श्रेय सकार को दिया, जबकि 37 फीसद ने किसानों को और 22 फीसद से ज्यादा लोगों ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी का श्रेय विपक्षी दलों को जाता है।
3- कृषि कानूनों की वापसी सहित एमएसपी पर कानून और अन्य कई मुद्दों को लेकर आज 22, नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित ईको गार्डन में किसान महापंचायत कर रहा है। जिसके मुख्य मुद्दे एमएसपी पर लिखित कानून की गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा की बर्खास्गी हैं। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन की आगे की रणनीति पर विचार करेगा, जिसके बाद 26 नवंबर को दिल्ली के सभी बॉर्डर्स पर किसानों की बैठक होगी और 29 नवंबर को होगा किसानों का संसद मार्च। किसान नेता राकेश टिकैत के चलो लखनऊ के नारे के बाद आज हो रही महापंचायत में शामिल होने के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों से किसान लखनऊ पहुंच रहे हैं, महापंचायत में जुटने वाली संभावित भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को बुधवार को मंजूरी दे सकता है, कानूनों को निरस्त करने वाले बिल को मंजूरी मिलने के बाद इन्हें संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। कानूनों की वापसी के लिए जारी सरकार की इन प्रक्रियाओं के बीच ही संयुक्त किसा मोर्चा ने पीएम मोदी के नाम खुला खत भी लिखा है, जिसमें किसानों से तुरंत बातचीत, विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021 ड्राफ्ट की वापसी, किसानों पर दर्ज मुकद्दमों की तुरंत वापसी, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और स्मारक निर्माण जैसी मांगें शामिल हैं।
4- कोरोना संक्रमण के चलते जान वंगाने वालों के परिजनों को मध्यप्रदेश सरकार 50 हजार रुपये का मुआवजा दे रही है, जो SDRF यानि स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड दिया जाएगा। मुआवजे की रकम डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर प्रोसेस से मृतक के परिजन को सीधे बैंक खाते में भेजी जाएगी। जिसके लिए प्रदेश सरकार ने कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं, नए नियम 31 दिसंबर तक लागू रहेंगे। जिनके मुताबिक मुआवजे के लिए डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोविड दर्ज होना भी जरूरी नहीं है। दस्तावेज प्रमाणित करने के अधिकार कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी को दिए गए हैं। जो 30 दिन में फैसला करेगी। इन नियमों के तहत जहर, दुर्घटना, आत्महत्या या मर्डर को कोविड से मौत नहीं माना जाएगा। भले ही व्यक्ति उस समय कोविड से संक्रमित हो। बता दें कि कुछ वक्त पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने को मंजूरी दी है। मुआवजे की राशि, राज्य सरकारें अपने आपदा प्रबंधन कोष से देंगी जो आवेदन करने के 30 दिन में भीतर देना होगा। कोर्ट ने कहा कि राज्य या केंद्र सरकार अलग से भी मुआवजे की राशि बढ़ा सकती है।
5- कल, रविवार को दिल्ली में संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम बहुत जोर से जय श्री राम का नारा लगाते हैं और लगाना भी चाहिए। लेकिन हमें उनके जैसा बनना भी चाहिए। हम सोचते हैं कि वो तो भगवान थे। भरत जैसे भाई पर प्रेम करना तो भगवान ही कर सकते हैं, हम नहीं कर सकते। ऐसी सोच सामान्य आदमी की रहती है। इसलिए वे उस राह पर नहीं चल पाते। उन्होंने कहा कि अपना स्वार्थ छोड़कर लोगों की भलाई करने का काम कठिन होता है। उन्होंने कहा कि, दुनिया के सारे देश मिलाकर अब तक जितने महापुरुष हुए होंगे उतने हमारे देश में पिछले 200 सालों में हो गए हैं। एक-एक का जीवन सर्वांगीण जीवन की राह उजागर करता है। मोहन भागवत ने कहा कि इन 75 सालों में जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो हम जरूर आगे बढ़ेंगे। हम उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़ें। अगर हम लोग पूरे मन से काम करें तो फिर देश को कोई ग्रोथ करने से रोक नहीं सकता है।