1- ड्रग्स मामले में गिरफ्तार हुए एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी है। आर्यन को शुरू में जो कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था, वो अब उनके वकीलों और NCB के बीच लंबी कानूनी लड़ाई में बदल गया है। गुरुवार को मुंबई सेशन कोर्ट में आर्यन खान की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, लेकिन जमानत नहीं मिल सकी, कोर्ट ने 20 अक्टूबर तक के लिए आदेश को सुरक्षित रखा है, अब अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी, तब तक आर्यन खान ऑर्थर रोड जेल में ही रहेंगे। बता दें कि 2 अक्टूबर को मुंबई में कॉर्डेलिया क्रूज पर NCB की छापेमारी के बाद आर्यन खान को 3 अक्टूबर को ड्रग लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
2- सोशल मीडिया पर कुरान के अपमान की अफवाह के बाद 13 अक्टूबर को बांग्लादेश में हिन्दू मंदिरों और दुर्गा पंडालों पर हमला किया गया, साथ ही हिन्दुओं के घरों और दुकानों पर भी हमले हुए। बांग्लादेश में मंदिरों पर हुए इन हमलों में 4 लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने की खबर है। हिन्दू मंदिरों पर हुए हमलों के बाद 22 जिलों में बॉर्डर गार्ड के जवानों की तैनाती की गई है, हिंसा का माहौल गर्माने के बाद बांग्लादेश में कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। देश में हिंसक घटनाओं पर बोलते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा, फिर चाहें वो किसी धर्म के हों। गुरुवार को दुर्गा पूजा पर्व के दौरान शेख हसीना ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में हिंदू समुदाय के लोगों से मुलाकात भी की। वहीं बांग्लादेश में हुई इस घटना से पश्चिम बंगाल में भी राजनीति गरमा गई है, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का मुद्दा उठाया है और पीएम से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
3- अगले साल देश के 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव होने हैं, चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने इस सभी राज्यों की सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वो गृह जिलों में तैनात अधिकारियों और बीते चार साल के दौरान तीन साल एक ही जिले में तैनात अधिकारियों का ट्रांसफर करें। निर्वाचन आयोग ने पांचों राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च, 2022 में और उतर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को खत्म हो रहा है, ऐसे में अधिकारी किसी भी तरीके से चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष व स्वतंत्र बनी रहे, इसके लिए तीन साल एक ही जिले में तैनात अधिकारियों का ट्रांसफर करें। आयोग ने पत्र में ये भी कहा है कि ऐसा कोई भी अधिकारी चुनाव ड्यूटी के साथ जुड़ा नहीं रहेगा या उसकी तैनाती नहीं होगी जिसके खिलाफ अदालत में कोई आपराधिक मामला लंबित हो।
4- देश में कोयले की कमी और बिजली संकट की खबरों के बीच सरकार की तरफ से लगातार बयान जारी किए जा रहे हैं, कि देश में ऐसी कोई समस्या नही है, कल गुरुवार को झारखंड के चतरा पहुंचे केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि थर्मल पावर संयंत्रों में कोयले की कमी नहीं हो और इसके कारण बिजली का उत्पादन प्रभावित नहीं हो इसके लिए बिजली उत्पादन संयंत्रों की मांग पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है और बुधवार से हर दिन दो मिलियन टन कोयले की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर दी गई है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि लगातार हुई बारिश के कारण कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ , साथ ही आयात बंद होने की वजह से देश में कोयले की किल्लत हुई थी लेकिन अब आपूर्ति बढ़ा दी गई है और सभी संयंत्रों की मांग को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।
5- एक्शन हो तो ऐसा कि खबर सुनकर वाह कहने को मन करे, कुछ ऐसा ही एक्शन कल सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लिया। दरअसल नेशनल हाईवे 47 पर गड्ढे के चलते एक हादसा हुआ तो पीड़ित पक्ष के वकील ने इसकी शिकायत सीधे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से की, और शिकायत पर तत्काल एक्शन लेते हुए मंत्री जी ने न सिर्फ दो घंटे में सड़क के गड्ढे को खत्म कराया बल्कि जिम्मेदार कंपनी पर भी कार्रवाई की। पीड़ित की शिकायत पर सड़क निर्माण का काम कर रही कंपनी के खिलाफ NHAI के डायरेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बता दें कि ये पूरा मामला 2 अक्टूबर का है जब बैतूल के आमला में रहने वाले एडवोकेट राजेन्द्र उपाध्याय अपनी मां का इलाज कराने के बाद नागपुर से अपने घर की तरफ लौट रहे थे, तभी हिवरा गांव के पास सड़क खराब होने की वजह से उनकी कार पलट गई, हादसे में राजेन्द्र और उनकी मां दोनों घायल हो गए, इसके बाद उन्होंने बड़ चिचौली पुलिस चौकी में इसकी शिकायत की थी।
6- कश्मीर में आतंक की नई लहर के चलते यहां आम लोगों में ही नहीं बल्कि प्रशासनिक कर्मचारियों में भी दहशत का माहौल है, आतंक के डर से लोगों का कश्मीर से पलायन जारी है, हालांकि प्रशासन ने लोगों को सुरक्षा के लिए आश्वस्त किया है, साथ ही प्रवासी कर्मचारियों की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें दूरदराज के संवेदनशील क्षेत्रों से हटाकर उनकी पोस्टिंग सुरक्षित इलाकों में करने का फैसला लिया है। दरअसल जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा आम लोगों को निशाना बनाए जाने के बाद शिक्षकों व दूसरे सरकारी कर्मचारियों में इतनी दहशत फैल गई है कि वे घाटी से बाहर ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं, इसी को देखते हुए प्रशासन ने फैसला लिया है। बता दें कि कश्मीर के कई जिलों में करीब तीन हजार प्रवासी कर्मचारी विभिन्न पदों पर कार्यरत है जिनमें से अधिकर सरकार की ओर से मुहैया कराए गए आवास में रहते हैं, जिनकी सुरक्षा का जिम्मा पुलिस का है लेकिन बीते दिनों में आतंकियों का निशाना बने आम लोगों और शिक्षकों के बाद ये प्रवासी कर्मचारी जम्मू पलायन कर रहे हैं।