1- रविवार सुबह उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा और उसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ ने हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में जल प्रलय जैसा तांडव मचाया। अचानक आई इस विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है। एनडीआरएफ और सेना के जवान बाढ़ से प्रभावित, धौली गंगा नदी पर स्थित तपोवन के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने में लगे हैं। परियोजना महाप्रबंधक का कहना है कि इस सुरंग में मजदूरों और दूसरे कर्मचारियों समेत 30-35 लोग फंसे हैं। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान इस सुरंग से अभी तक कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल चुके हैं। बताया जा रहा है कि रविवार रात को धौली गंगा नदी का जल स्तर अचानक बढ़ने की वजह से राहत बचाव कार्य को कुछ वक्त के लिए रोकना पड़ा, जिसे सुबह होते ही फिर शुरु कर दिया गया है। रविवार को आई इस आपदा में जहा अलकनंदा पर बना पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह खत्म हो गया वहीं इस त्रासदी मेंअभी तक 7 लोगों की मौत और 125 से ज्यादा लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि लापता हुए लोग भी जिंदा नंही बते होंगे। तीनों सेनाओं के सैकड़ों जवान औऱ मेडिकल टीमें लगातार राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं।
2- रविवार सुबह उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के चलते अचानक आई बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2-2 लाख रुपये की राहत राशि देने को कहा गया है। पीएमओ ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि इस आपदा में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50-50- हजार रुपये और मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रदान करने की मंजूरी दी गई है।
3- 15 दिनों के भीतर दूसरी बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को हल्दिया में 5 हजार करोड़ कि परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इस मौके पर हल्दिया में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी पर जबकम निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दीदी से अधिकार की बात पूछ लो तो वो नाराज हो जाती हैं, भारत माता की जय के नारे लगाने से भी वो नाराज हो जाती हैं लेकिन देश के खिलाफ बोलनेवाले जितना भी जहर उगलें, उन्हें गुस्सा नहीं आता। प्रधानमंत्री ने कहा- बंगाल फुटबॉल से प्यार करने वाला राज्य है इसलिए फुटबॉल की भाषा में कहता हूं कि टीएमसी ने एक के बाद एक कई फाउल किए हैं। मिस गवर्नेंस का फाउल,विरोधियों पर हमले का फाउल, हिंसा का फाउल, बंगाल के लोगों का पैसा लूटने का फाउल, आस्था पर हमलों का फाउल। बंगाल की धरती के गौरव के लिए बीजेपी के हर कार्यकर्ता का त्याग, तपस्या औक बलिदान ने बंगाल को ये अहसास करा दिया है कि इस बार पोरिबर्तन होकर रहेगा। रविवार को जनसभा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने बंगाल के हल्दिया में भारत पेट्रोलियम का एलपीजी इंपोर्ट टर्मिनल राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही रानीचक में गेल की तरफ से तैयार की गई 348 किमी लंबी डोभी-दुर्गापुर नेचुरल गैस पाइपलाइन और फोर-लेन रोड ओवरब्रिज का भी उद्घाटन किया।
4- दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ कि जा रहे किसान आंदोलन की आड़ मॆं देश में दंगे और अशांति फैलाने के मकदस से ट्विटर पर लगातार ट्वीट्स किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनमें सैकड़ों ट्वीट्स पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थक ट्विटर हैंडल से किए जा रहे हैं। इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन ट्वीट्स को भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है और ऐसे 1,178 अकाउंट्स की लिस्ट तैयार कर ट्विटर को देकर उन अकाउंट्स पर कार्रवाई के लिए कहा है। मंत्रालय ने इन अकाउंट की लिस्ट 4 फरवरी को ही ट्विटर को दे दी थी लेकिन ट्विटर की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ट्विटर ने इन अकाउंट्स पर कार्रवाई न करने की जगह, अभिव्यक्ति की आजादी बताया है। ट्विटर के इस रवैये के बाद सरकार ने कहा है कि यदि ट्विटर को सरकार के निर्देशों से ऐतराज है तो कंपनी, अदालत में सरकार के निर्देश को चुनौती दे सकती है। साथ ही ट्विटर को ये भी बता दिया गया है कि सरकार ने आइटी एक्ट के सेक्शन 69 ए के तहत यह निर्देश दिया है क्योंकि ये ट्वीट आंदोलन को लेकर गलत सूचना का प्रसार कर रहे हैं जिससे हिंसा भड़कने के साथ देश की कानून व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका हैं। निर्देशका पालन न करने पर इस एक्ट में जुर्माने के साथ ही सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।
5- तीन कृषि कानूनों के अलावा अब किसान आंदोलन में 10 साल पुराने ट्रेक्टरों पर एनजीटी द्वारा लगाए गए बैन का विरोध हो रहा है। कृषि कानूनों के विरोध में किए जा रहे आंदोलन में शनिवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्रैक्टर क्रांति का आह्वान किया है। जिसके बाद ट्रैक्टर मालिक किसान भी जुटने लगे हैं। आपको बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिबयूनल ने 26 नवंबर 2014 को दिए आदेश में कहा था कि 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली-एनसीआर में चलाने की अनुमति नहीं होगी। एनजीटी के इस आदेश का विरोध करते हुए राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि ‘जो ट्रैक्टर खेतों में चलते हैं, वे अब दिल्ली में एनजीटी के कार्यालय में भी चलेंगे। 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टर भी चलेंगे, और कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए चल रहे आंदोलन को भी मजबूत किया जाएगा।’