2- कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान देशभर में हुई तालाबंदी का दौर जैसे जैसे खत्म हो रहा है, लोग फिर से संक्रमण के खतरे के प्रति लापरवाह नजर आने लगे हैं। सबकुछ अनलॉक होने के बाद से बाजारों, मॉल्स में लोगों की बढ़ती भीड़ फिर से मुसीबत को न्यौता दे रही है इसे लेकर चेतावनी दी है, एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने। उनका कहना है कि कोरोना गाइडलाइन्स की अनदेखी हुई और बाजारों व टूरिस्ट प्लेस पर बढ़ती भीड़ को यदि काबू नहीं किया गया तो 6 से 8 हफ्तों में पूरे देश पर कोरोना की तीसरी लहर का अटैक हो सकता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अभी तक की रिसर्च में ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि कोरोना की तीसरी लहर व्यस्कों से ज्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी। हां तीसरी लहर को रोकने के लिए जरूरी है कि लोग कोविड गाइडलाइन्स का पालन करें, ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हो। इसके अलावा ऐसे इलाकों की मॉनिटरिंग करनी होगी, जहां संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज 5 फीसदी से ज्यादा है, वहां कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किए जाएं।
3- साल 2019 में जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के लंबे वक्त बाद एक बार फिर यहां सियासी हलचल देखी जा रही है।PMO ने इस बात की जानकारी दी है कि 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने आवास पर सर्वदलीय बैठक करेंगे। इस बैठक में शामिल होने के लिए 14 नेताओं को इनविटेशन भेजा गया है जिनमें जम्मू-कश्मीर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबुबा मुफ्ती भी शामिल हैं। सभी नेताओं को बैठक से पहले कोरोनो निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। सूत्रों के मुताबिक 24 जून को होने जा रही इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में चल रहे राजनीतिक गतिरोध और केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने औऱ जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के विषय पर बातचीत हो सकती है। आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव साल 2018 से लंबित हैं।
4- कोरोना काल में ऐसे कई मामले देखने को मिले जब मरीज की तबीयत बिगड़ने या जान जाने की स्थिति में मरीज के परिजनों ने डॉक्टर्स के साथ दुर्व्यवहार या हिंसा की। अब केन्द्र सरकार ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर, डॉक्टर्स समेत पूरे मेडिकल स्टॉफ को सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही है। केन्द्र ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि हेल्थकेयर वर्कर्स को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ केस दर्ज कर उनके खिलाफ एपिडेमिक एक्ट 2020 के तहत कार्रवाई की जाए। एपिडेमिक एक्ट 2020 के तहत यदि कोई व्यक्ति को मेडिकल स्टॉफ से हिंसा करने का दोषी पाया गया तो उसे 5 साल की सजा और 2 लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है। जुर्माना और सजा पीड़ित को पहुंचे नुकसान के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है और ज्यादा नुकसान होने पर सजा को बढ़ाकर 7 साल, वहीं जुर्माना बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक को सकता है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा सभी राज्यों और केंद्र सरकार प्रदेशों को जारी की गई चिट्ठी में लिखा गया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स के खिलाफ हिंसा की घटनाओं से उनका मनोबल गिर सकता है और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। ऐसे में मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा जरूरी है। राज्यों का दायित्व है कि हिंसा करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कर ऐसे मामलों का निपटारा किया जाए।
5- सोशल मीडिया कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए बनाए नए आईटी नियमों को लेकर सरकार पूरी सख्ती दिख रही है। ट्विटर के बाद शनिवार को संसदीय समिति ने फेसबुक को भी आड़े हाथों लिया। दरअसल फेसबुक के अधिकारियों को संसदीय समिति के सामने अगली पेशी को लेकर टालमटोल की, फेसबुक के अधिकारियों ने कंपनी की कोविड पॉलिसी का हवाला देते हुए अगली पेशी में फिजिकली शामिल होने के बजाय वर्चुअली आने की गुजारिश की। इस पर समिति ने फेसबुक से कहा कि अपने अधिकारियों को भेज दीजिए, हम वैक्सीन लगवा देंगे। संसदीय समिति ने सख्ती दिखाते हुए साफ किया कि कोई भी मीटिंग ऑनलाइन नहीं हो सकती, इसके लिए अधिकारियों को फिजिकली पेश होना होगा। नए आईटी नियमों के संबंध में समिति के सामने गूगल, यूट्यूब, फेसबुक और दूसरी कंपनियों को भी पेश होने को कहा गया है लेकिन अभी इन कंपनियों से मीटिंग को लेकर कोई तारीख तय नहीं हुई है।