पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद खाली हुई राज्य सभा सीट (Rajya Sabh Seat) को लेकर एनडीए (NDA) में असमंजस की स्थिति है। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने भले ही बिहार में विधान सभा चुनाव के बाद एक इंटरव्यू में यह कह दिया हो कि उनके पिता ने निधन के साथ ही वो सीट खाली कर दी है और एनडीए जिसे भी चाहे दे सकती है। लेकिन केंद्र में बीजेपी (BJP) की सहयोगी पार्टी एलजेपी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान तो इस सीट पर अपनी मां रीना पासवान (Reena Paswan) को ही देखना चाहते हैं। चिराग ने अपनी मां रीना पासवान को यह सीट देने की मांग की है तो जेडीयू (JDU) ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए बीजेपी के पाले में गेंद डाल दी है। नीतीश और चिराग की लड़ाई के बीच फायदा लेने की फिराक में बीजेपी है।
सूत्रों की मानें तो (LJP) ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र भी भेजा है जिसमें रीना पासवान को राज्यसभा की सीट देने के लिए मांग की गई है।
पूरे मामले पर एक रहस्यमयी स्थिति बनी हुई है। विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह चिराग पासवान ने नीतीश को आड़े हाथों लिया और गठबंधन को नुकसान पहुंचाया उससे तो यही लगता है कि एलजेपी (LJP) पर एनडीए कतई मेहरबान नहीं होगी।
हालांकि बिहार में अब बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ गई है, फिर भी बीजेपी नीतीश को नाराज नहीं करना चाहेगी। बीजेपी भी यह जानती है कि भले ही जदयू की पर्फॉर्मेंस खराब रही हो लेकिन फिर भी 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 125 सीटों के साथ एनडीए सरकार चलाने के लिए जेडीयू बेहद महत्वपूर्ण हैं।
आपको बता दें कि पिछले मार्च में हुए राज्यसभा के लिए चुनाव में बिहार कोटे की पांच सीटों में से एनडीए के खाते में तीन सीट आई थी जिसमें जेडीयू को दो और बीजेपी को एक सीट मिली थी। लेकिन यह भी सच है कि एलजेपी को एक राज्यसभा सीट देने का फैसला लोकसभा चुनाव के दौरान ‘सीट शेयरिंग फॉर्मूले’ के तहत तय हुआ था। उस समय बीजेपी और जेडीयू दोनों 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और एलजेपी ने कुल 6 सीटों पर। उस समय यह बीजेपी और जेडीयू ने यह तय किया था कि राज्यसभा की एक सीट एलजेपी को दी जाएगी। अगर राज्य सभा सीट रीना पासवान को दिए जाने को लेकर एनडीए तैयार नहीं होती है तो उस फॉर्मूले का उल्लंघन होगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन की वजह से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर नामांकन (Rajya Sabha Election) आज से दाखिल किया जा सकता है. नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 3 दिसंबर है और 4 दिसंबर को उसकी जांच होगी. 5 दिसंबर तक नामांकन वापस लिया जा सकेगा. 14 दिसंबर को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मतदान होने वाला है. मतगणना 14 दिसंबर की शाम में होगी. राज्यसभा की एक सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में NDA की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन उम्मीदवार के नाम को लेकर अब भी संशय बरकरार है. वजह चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) का ताजा रुख है.
दरअसल, एलजेपी को एक राज्यसभा सीट देने का फैसला लोकसभा चुनाव के दौरान ‘सीट शेयरिंग फॉर्मूले’ के तहत तय हुआ था. तब बीजेपी और जेडीयू दोनों 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और एलजेपी ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. साथ ही राज्यसभा की एक सीट एलजेपी के खाते में देने के लिए बीजेपी-जेडीयू तैयार हुए थे. अगर आने वाले दिनों में रामविलास पासवान वाली खाली राज्य सभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी एलजेपी के उम्मीदवार को नहीं उतारेगी तो ये उस फॉर्मूले का उल्लंघन होगा।
लेकिन यह भी सच है कि बीजेपी ने राम विलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान की करारी हार को देखते हुए यह भांप लिया है कि एलजेपी के साथ फिलहाल कोई भविष्य नहीं है। जेडीयू के साथ चिराग की तनातनी अपनी जगह है, लेकिन फिलहाल बीजेपी भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार ही उतारना चाहती है। हालांकि चिराग पासवान ने अपने एक बयान में यह कहा है कि उन्होंने राज्यसभा सीट पर उम्मीदवार खड़े करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दिया है।
मौजूदा हालात तो यही कहते हैं कि राज्य सभा की इस सीट पर बीजेपी का ही कैंडिडेट जीतेगा। माना यह भी जा रहा है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस सीट पर राज्यसभा जा सकते हैं। राज्यसभा सांसद बनाकर सुशील मोदी को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की बातें भी उठ रही हैं। दूसरी ओर, पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन के नाम को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, पार्टी की ओर से इसपर कोई बयान नहीं आया है।
बता दें कि राज्य सभा की रिक्जत सीट के लिए नामांकन गुरुवार से शुरु हो चुका है। नामांकन पत्र 3 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है। 4 दिसंबर को उसकी जांच होगी। नामांकन वापस लेने की तारीख 5 दिसंबर है। मतदान 14 दिसंबर को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक होगा। मतगणना 14 दिसंबर की शाम को की जाएगी।
बिहार विधानसभा में लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान को ‘वोटकटवा’ की भूमिका में देख कर नीतीश कुमार को चिराग फूटी आँख भी नहीं सुहा रहे। तो फिर यह समझ लीजिए की जदयू तो लोजपा के उम्मीदवार को सपोर्ट नहीं करेगी। वहीं एनडीए गठबंधन सीटों का गणित भी यही कहता है कि इस एकमात्र सीट को निकालने के लिए किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी है। ऐसे में सीटों के समीकरण को समझें तो यही लगता है कि अगर विपक्ष की ओर से भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाता है तो 243 सदस्यीय विधानसभा में जीत उसी की हो सकती है, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट मिलेंगे। तो हालात तो यही बनते हैं कि बीजेपी को भी इस सीट के लिए जेडीयू का सहयोग चाहिए होगा। क्योंकि कोई भी दल अकेले इस अंक के आसपास भी नहीं।