उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए कथित गैंगरेप और मर्डर केस के आरोपियों का ब्रेन इलेक्ट्रीकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग टेस्ट (BEOSP) होगा। मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम आरोपियों को लेकर शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर के फॉरेंसिंग साइंस लैब पहुंची।
BEOSP टेस्ट से पहले भी कई टेस्ट कराने पड़ते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि टेस्ट से गुजरने वाला व्यक्ति पूरी तरह से फिट है।
क्या है BEOSP टेस्ट?
ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (BEOSP) टेस्ट को ब्रेन फ़िंगर प्रिंटिंग टेस्ट भी तहा जाता है। दरअसल यह पूछताछ का एक न्यूरो मनोवैज्ञानिक तरीका है। इस जांच के माध्यम से आरोपी के मस्तिष्क की प्रतिक्रिया की जांच की जाती है। यह टेस्ट नार्को से अलग है। अक्सर यह देखा गया है कि अपराधी या आरोपी सच कबूलने से बचते हैं। झूठ पर झूठ बोलते हैं। इन मामलों में BEOSP टेस्ट व्यक्ति के दिमाग में उसकी जिंदगी के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की स्मृति से सच को बाहर लाने का काम करते है। कई मामलों में नार्कों और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाये जाते हैं जिसके लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया होती है। हाथरस मामले में भी आरोपियों के नार्को टेस्ट की बात सामने आयी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। BEOSP एक EEG (इलेक्ट्रोएंसेफलोग्राम) तकनीक है। इस टेस्ट में आरोपियों के साथ प्रश्न उत्तर सत्र नहीं किया जाता है। बल्कि उनके मस्तिष्क का न्यूरो मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। जहां पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी के शारीरिक हावभाव को ध्यान में रखा जाता है वहीं BEOSP टेस्ट में ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, श्वास गति और पसीन आना जैसी बदलाव पर ध्यान दिया जाता है।
BEOSP टेस्ट करवाने की प्रक्रिया
यह प्रक्रिया भी उतनी आसान नहीं है लेकिन नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट की तरह मुश्किल भी नहीं है। बीईओएसपी टेस्ट करवाने के लिए मामले की जांच में जुटी टीम को गांधीनगर निदेशालय से तारीख लेनी पड़ती है। एक जांच में करीब 55 हजार रुपये का शुल्क है। अपराधी या आरोपी को पुलिस सुरक्षा में लैब तक लाना पड़ता है।
देश के कई बड़े मामलों के आरोपियों को इस लैब तक लाया जा चुका है। आरुषि मर्डर केस, निठारी सीरियल किलिंग, गोधरा ट्रेन बर्निंग, शक्ति मिल गैंगरेप केस, और फिलहाल बॉलीबुड में चल रहे ड्रग्स के आरोपियों को इस लैब तक टेस्ट के लिए लाया जा चुका है।
आपको बता दें कि 1974 में गुजरात के गांधीनगर में स्थापित FSL फॉरेंसिक विज्ञान और तकनीकी जांच के लिए भारत की जानी मानी लैबोरेटरी है। इस लैब में 1100 कर्मचारी काम करते हैं। यहां संदिग्ध डिटेक्शन सिस्टम, कंप्यूटर फोरेंसिक, नार्को टेस्ट के साथ-साथ कई सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित रूप से एक लड़की के गैंगरेप का मामला सामने आया था। इस मामले की पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। रेप की घटना दलित युवती के साथ 14 सितंबर को हुई थी। बताया जाता है कि गैंगरेप के बाद लड़की को बेरहमी से मारने की कोशिश हुई। गंभीर रूप से घायल लड़की को अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया लेकिन उसे वहां से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान लड़की की मौत हो गई थी। देश भर में मचे एक लंबे बवाल और विरोध के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
बता दें कि नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट आरोपी की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता। 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में ऐसा कहा था।