Guru Nanak Jayanti 2020: 30 नवंबर (November 30) को गुरु नानक देव जी की 551वीं जयंती मनाई जा रही है। हर वर्ष नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) की जयंती (Guru Nanak Jayanti) कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन मनाई जाती है। गुरु नानक जी के जन्म दिवस (Guru Nanak Dev Birthday) के दिन को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व (Guru Parv or Prakash Parv) के रुप में मनाया जाता है। सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी ने ही श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे (Kartarpur Sahib Gurudwara) की नींव रखी थी। भक्त उन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से भी पुकारते हैं। भारत में ऐसे 10 गुरुद्वारे स्थित हैं जिस पर सिख धर्म के अनुयायियों की गहरी श्रद्धा और आस्था है।
स्वर्ण मंदिर, पंजाब (Swarn Mandir Gurudwara, Punjab)
पंजाब के अमृतसर में है स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा। इस गुरुद्वारे को हरमिंदर साहिब सिंह के नाम से भी जाना जाता है। ‘गोल्डन टेंपल’ (Golden Temple) के नाम से प्रचलित यह गुरुद्वारा पूरे विश्व में अपनी बेमिसाल खूबसूरती और आस्था के लिए जाना जाता है। इस गुरुद्वारे की दीवारें सोने की बनी हुई है। महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण मंदिर की स्थापना की थी।
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा, उत्तराखंड (Sri Hemkund Sahib Gurudwara, Uttarakhand)
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पहाड़ों और झील के किनारे बना है। सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने इस गुरद्वारे का निर्माण करवाया था।
शीशगंज गुरुद्वारा, दिल्ली (Sheeshganj Gurudwara, Delhi)
सिख धर्म के नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की शहादत की याद में यह गुरुद्वारा बनवाया गया था। सिख धर्म के लोगों के लिए यह स्थान बहुत आस्था रखता है। यह वही स्थान है जहां मुगल बादशाह औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के इस्लाम स्वीकार न करने पर उनकी हत्या करवा दी थी। यह गुरुद्वारा देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। इसका निर्माण सिख मिलिट्री लीडर बघेल सिंह ने करवाया था।
फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा, पंजाब (Fatehgarh Sahib Gurudwara, Punjab) फतेहगढ़ साहिब गुरूद्वारा सिक्खों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह को धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर उस समय सरहिंद के फौजदार वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा दोनों भाईयों की शहादत की याद में बनवाया गया था।
बंगला साहिब गुरुद्वारा, दिल्ली (Bangla Sahib Gurudwara, Delhi)
यह गुरुद्वारा नई दिल्ली में स्थित है। यह गुरुद्वारा मूल रुप से एक बंगला था, जो जयपुर के महाराजा जयसिंह का था। सिखों के आठवें गुरु गुरु हर किशन सिंह यहां अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रहे थे। यह गुरुद्वारा अब सिखों और हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है। गुरु हर किशन सिंह के दिल्ली प्रवास के दौरान चेचक (स्माल पॉक्स) और हैजा की बिमारियां फैली हुई थीं। गुरु महाराज ने उन बीमारियों के मरीजों को अपने आवास से जल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं थीं। तब से यह माना जाता है कि इस गुरूद्वारे के सरोवर का जल अमृत समान है जो कई बिमारियों को दूर करता है।
हजूर साहिब गुरुद्वारा, महाराष्ट्र (Huzur Sahib Gurudwara, Maharashtra)
हजूर साहिब गुरुद्वारा महाराष्ट्र के नान्देड शहर में है। यह गुरुद्वारा गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। यहीं पर सन 1708 में गुरु गोविंद सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था। महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के प्रति श्रद्धा भाव से इस गुरूद्वारे का निर्माण करवाया था।
पांवटा साहिब गुरुद्वारा, हिमाचल प्रदेश (Paonta Sahib Gurudwara, Himachal Pradesh)
इस स्थान पर सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने जीवन के चार साल बिताए थे और दसवें ग्रंथ की रचना की थी। यह माना जाता है कि इसी जगह पर उन्होंने सिख धर्म के शास्त्र दसम् ग्रंथ या ‘दसवें सम्राट की पुस्तक ‘का एक बड़ा हिस्सा लिखा था।
तख़्त श्री दमदमा साहिब, पंजाब (Takht Sri Damdama Sahib)
पंजाब के बठिंडा में स्थित इस गुरूद्वारे में गुरु गोविंद सिंह जी आकर रुके थे और यहां आकर उन्होंने मुगलों का सामना किया था। माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब जी के पूर्ण संस्करण को तैयार किया था। तख्त श्री दमदमा साहिब सिक्खों के पवित्र पांच तख्तों में से एक है। इसे तलवंडी साबों भी कहा जाता है।
श्री पटना साहिब गुरुद्वारा, बिहार (Sri Patna Sahib Gurudwara)
तख़्त श्री पटना साहिब या श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब बिहार के पटना शहर में स्थित सिख आस्था से जुड़ा गुरुद्वारा है। पटना साहिब सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान है। महाराजा रंजीत सिंह ने इस गुरुद्वार का निर्माण करवाया था। यह गुरुद्वारा स्थापत्य कला का एक सुंदर नमूना है।
गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, हिमाचल प्रदेश (Gurudwara Manikaran Sahib, Himachal Pradesh)
गुरुद्वारा मणिकरण साहिब गुरुनानक देव जी की यहां की यात्रा की स्मृति में बना गया था। इस गुरुद्वारे को लेकर ऐसी मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु नानकदेव ने इसी स्थान ध्यान लगाया था। इस गुरुद्वारे में पूरे वर्ष दोनों समय लंगर चलता रहता है।