अगर आप बैठे बिठाए पैर हिलाते रहते हैं, और खुद को फिट बताते हैं तो आप गलत हैं क्योंकि पैर हिलाना भी एक शारीरिक समस्या के संकते हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्हें अक्सर पैरों में दर्द, कंपन, खिंचाव, चुभन, झनझनाहट या सनसनी सी महसूस होती है, सोने वक्त नस चढ़ती हो, बैठने में समस्या होती हो, देर तक एक जगह पर खडे न हो पाते हों, सोते वक्त पैर चलाते हैं या बार-बार करवट बदलते हैं वे RLS यानि Restless Legs
Syndrome का शिकार होते हैं।
ध्यान दें- यह नुकसान पहुंचा सकता है
इस समस्या का शिकार लोग अनकंफर्टेबल फील करने पर सामान्य होने के लिए पैर हिलाने लगते हैं ताकि उन्हें आराम मिल सके, आराम मिलता भी है लेकिन धीरे धीरे पैर हिलाना व्यक्ति की आदत में शामिल हो जाता है और लोग अनजाने में भी बैठै-हैठे पैर हिलाने लगते हैं, ये नर्वस सिस्टम से संबंधित एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैर स्थिर नहीं रहते और दर्द के चलते या कहें कि मानसिक स्थिति की वजह से अनजाने भी हिलते रहते हैं। आमतौर पर लोग पैर हिलाने की समस्या को सामान्य मानते हैं और Restless legs syndrome के शरीर पर और भी कई नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, इस ओर उनका ध्यान ही नहीं जाता। जैसे – नींद न आना, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द रहना, एकाग्रता का घटना आदि।
दो तरह का होता है- Restless legs syndrome
इडियोपैथिक और सैकेंडी। इडियोपैथिक सिंड्रोमं जो ज्यादातर आनुवांशिक होता है और 40 की उम्र से पहले ही शुरु हो जाता है। ऐसे में जो लोग पैर हिलाने की इस समस्या का शिकार होते हैं अक्सर उनके बच्चों में भी ये आदत देखी जाती है। सैकेन्ड्री सिंड्रोम में शुरुआत अचानक से होती हैं इसमें डायबटीज, एनीमिया, ओबेसिटी और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों से घिरे लोग और स्मोकिंग व ड्रिंकिंग करने वाले भी कई बार Restless legs syndrome की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा ड्रिप्रेशन या एलर्जी की दवाओं को लंबे समय तक सेवन भी इस समस्या का कारण बनता है। शरीर में आयरन और मैग्नीशियम की कमी के चलते भी लोग इस समस्या का शिकार हो सकते हैं। इन सबसे अलग तनाव, थकान और लाइफस्टाइल भी काफी हद तक ऐसी समस्याओं के लिए जिम्मेदार होता है। अब जहां तक बात है इस समस्या से बचाव या इसके उपचार की तो इसके लिए न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल, दोनों ही तरीके कारगर हैं। चिकित्सकीय उपचार के साथ साथ इस समस्या से घिरे लोग अपनी दैनिक जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर इस समस्या पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं।
कैसे बचें इस सिंड्रोम से
योग, ध्यान, व्यायाम इस तरह की समस्यों पर नियंत्रण के लिए उपयुक्त रेमिडी है। पोषणयुक्त आहार का सेवन करें, आयरन-मैग्नीशियम से भरपूर डाइट लें। शराब, तंबाकू, कैफीन के सेवन से बचें सोने और जागने का एक समय निर्धारित करें और कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें। पैरों की नियमित मसाज से भी Restless legs syndrome में होने वाले टांगों के दर्द को काफी हद तक काबू किया जा सकता है। आयरन – मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिए किसी भी सप्लीमेंट का सेवन डॉक्टर के परामर्श के बगैर बिल्कुल न करें। अक्सर इस समस्या का शिकार लोग बीमारी की गंभीरता को नहीं समझते और डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें। यदि आप खुद में इस समस्या के लक्षण देख या महसूस कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उपचार कराएं। उपचार के जरिए Restless legs syndrome को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन समय पर सतर्कता से इसे काबू किया जा सकता है और इस समस्या के कारण होने वाली दूसरी शारीरिक समस्याओं से बचा जा सकता है।