पायलटों के एक संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की है कि कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले पायलटों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिया जाये। पायलट संगठन का कहना है कि महामारी के दौरान पायलटों ने जरूरी सेवाएं मुहैया कराने का काम किया है।
FIP की मांग-
- कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले पायलटों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिया जाये।
- कोविड-19 से जान गंवाने वाले पायलटों के परिवारों को 10 करोड़ रुपये मुआवजा देने का केंद्र को निर्देश दिया जाये
- महामारी के दौरान काम करने वाले पायलटों को टीकाकरण में प्राथमिकता दिया जाये
- महामारी के दौरान काम करने वालों को बीमा कवरेज
पायलट संगठन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि बीते साल से अब तक कोरोना महामारी की वजह से 17 पायलटों की जान गई है, जिनमें से 13 की मौत इस साल फरवरी से जून के बीच में हुई है।
बता दें कि मार्च 2020 से विमान कंपनियों और पायलटों ने ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत दूसरे देशों से भारत के नागरिकों को वापस लाने का काम किया था। इस साल भी, महामारी की दूसरी लहर के दौरान, वैक्सीन तथा अन्य चिकित्सकीय सामानों की आपूर्ति में अहम भूमिका निभाई है।
याचिका में दावा किया गया कि कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले पायलटों को समुचित मुआवजे के लिए आज तक कोई योजना पेश नहीं की गई है।