कांग्रेस CWC Election जून में होने वाले हैं जिसमें शायद इस बार पार्टी प्रेसिडेंट का तेहरा तय हो जाए लेकिन पार्टी को यह भी समझ लेना चाहिए कि यह उसके लिए एक आखिरी मौका है जब पार्टी अपने अस्तित्व का अहसास करा पाए। जून तक party को एक नया अध्यक्ष चुन लेना होगा। खुद का नरेंद्र मोदी ढूंढ लेना होगा। महज दिखावे के चुनाव से हट कर पार्टी को यह महत्त्वपूर्ण फैसला लेना होगा।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस काफी दिनों से अंतर्कलह से जूझ रही है। पहले तो दबी-दबी आवाज से ही विरोध की लपटें उठ रही थीं लेकिन अब जो हालात सामने हैं वो तो यही कह रहे हैं कि पार्टी खास्ताहाल में हैं। तो क्या यह समझा जाए कि देश की सबसे पुरानी पार्टी अपनी अंतिम सांसे गिन रही हैं। एक के बाद एक पार्टी के बड़े चेहरे बगावत का बिगुल जिस तरह से फूंक रहे हैं उससे यही लगता है कि यह आग पार्टी के वजूद के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
कांग्रेस में बीमारी को ठीक करने के लिए, सबसे पहले मूल कारण का निदान करना होगा। पार्टी को मतदाताओं को आकर्षित करने और पार्टी की विचारधारा को फिर से परिभाषित करने के लिए एक नई कथा लिखने की जरूरत है। अगर गांधीवाद अब नहीं जगा, तो पार्टी और पिछड़ जाएगी।