राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने आज एक बड़ा ऐलान किया। महागठबंधन (UPA) का साथ छोड़ते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने एक प्रेस कांफ्रेस में ऐलान किया कि वो बिहार में बसपा और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ मिलकर एक नया मोर्चा बनाएंगे। पिछले कई दिनों से राजद (RJD) प्रमुख तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) से उनकी तनातनी चल रही है। कुछ दिनों पहले उन्होंने यह भी बयान दिया था कि तेजस्वी यादव में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मुकाबला करने की क्षमता नहीं है।
Bihar Elections 2020: RLSP ने छोड़ा महागठबंधन का साथ, BSP के साथ नये मोर्चे का किया ऐलान
कुछ दिनों से कुशवाहा के दोबारा एनडीए(NDA) में शामिल होने को लेकर भी चर्चाएं जोरो पर थी। कुछ दिनों पहले उनकी दिल्ली यात्रा को लेकर भी यही कयास लगाए जा रहे थे। मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी से हाथ मिला कर उपेंद्र कुशवाहा(Upendra Kushwaha) ने बिहार विधान सभा चुनाव में एक नया मोड़ दे दिया है।
पिछले कई दिनों से उपेंद्र कई छोटी पार्टियों के साथ संपर्क में थे।
पिछले विधान सभा चुनाव(Bihar Vidhan Sabha Chunav) में बसपा (BSP) को 2.07 वोट मिले थे। राज्बय की 12 सीटों पर बसपा को 10,000-20,000 वोट हासिल हुए थे। सपा(SP) का प्रभाव सासाराम, बक्सर और औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिलता है।
अगर बात रालोसपा (RSLP) की करें तो इस पार्टी का मुख्य वोट बैंक कोरी समुदाय है, जो कि बिहार की कुल जनसंख्या का 8 फिसदी है।
दरअसल उपेंद्र कुशवाहा(Upendra Kushwaha) की सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन और एनडीए(NDA) दोनों से ही बात नहीं बन पाई। नया मोर्चा के ऐलान करते हुए उपेंद्र कुशवाहा(Upendra Kushwaha) ने आरजेडी (RJD) और नीतीश सरकार(Nitish Kumar) दोनों पर ही निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और अब बिहार की जनता को एक नया विकल्प चाहिए। बिहार में पिछले 30 साल के शासन को उपेंद्र ने जंगलराज बताया।कुशवाहा ने यह भी कहा कि महागठबंधन में भी भाजपा अपना दखल रखती है। राजद से कुशवाहा और खफा तब हो गये जब रोलोसपा(RSLP) के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी और एक अन्य पदाधिकारी को तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) ने अपनी पार्टी में जगह दे दी। उधर उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए(NDA) में शामिल होने के बाद विधानसभा की पांच सीटें और लोकसभा उपचुनाव की एक सीट दी जानी थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि एनडीए में रहते हुए उन्हे उपने चुनाव पर चुनाव नहीं लड़कर जदयू के चुनाव चिन्ह पर लड़ने की बात कही गई थी। लेकिन कुशवाहा इस ऑफर से खुश नहीं थी।