देशभर से हजारों श्रद्धालुओं ने यम द्वितीया के धार्मिक पर्व पर मथुरा के ऐतिहासिक विश्राम घाट पर पहुँचकर यमुना में स्नान किया।यम द्वितीया पर मथुरा के ऐतिहासिक विश्राम घाट पर यमुना स्नान के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। देशभर से हजारों श्रद्धालु मथुरा आये और ब्रह्म मुहूर्त से ही यमुना स्नान शुरू हो गया। यम की फांस से मुक्ति पाने की अभिलाषा लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्घालुओं भाई-बहनों ने एक साथ यमुना स्नान किया।
भाई बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैयादूज देश भर में मनाया जा रहा है, लेकिन मथुरा में इसे लेकर कुछ अलग ही धार्मिक मान्यता है। यहां इस दिन यम की फांस से मुक्ति की कामना लेकर भाई-बहन यमुना में डुबकी लगाते हैं। मथुरा के यमुना तट पुण्य विश्राम घाट पर यमुना धर्म राज का प्राचीन मंदिर है। स्नान के बाद भाई बहन इनका दर्शन करते हैं। यमुना जी को वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और धर्मराज को काला वस्त्र अर्पित करते हैं।
यम द्वितीया पर यमुना घाटों पर पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। विश्राम घाट तथा उसके आसपास के सभी घाटों पर बल्लियां बांध दी हैं। यमुना में 25 फीट तक श्रद्घालुओं के स्नान सुनिश्चित करने के लिए बल्लियां लगाई गई हैं। यहां पीएसी के गोताखोरों की तैनाती की गई। यहां सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किये है।
क्या है यम द्वितीया का महत्त्व?
यम द्वितीया, जिसे भैया दूज के नाम से भी जाना जाता है, भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक त्योहार है। इस पर्व के पीछे एक पौराणिक कथा है जो यमराज (मृत्यु के देवता) और उनकी बहन यमुनाजी से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने एक बार उनके घर गए थे। यमुनाजी ने अपने भाई यमराज का बड़े प्रेम से स्वागत किया, उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर उनका आदर किया। यमराज ने बहन के स्नेह से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाएगा और उसके साथ भोजन करेगा, उसे यम का भय नहीं रहेगा और उसकी आयु लंबी होगी।
इस मान्यता के आधार पर, यम द्वितीया के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को उपहार देते हैं और इस अवसर को प्रेमपूर्वक मनाते हैं।
मथुरा में विशेष रूप से यम द्वितीया का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां यमुनाजी और यमराज के बीच के इस पौराणिक प्रसंग को धार्मिक रूप से मान्यता दी जाती है। इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में स्नान कर यमराज से मुक्ति और शुभ फल की कामना करते हैं।