श्वेता रंजन, नई दिल्ली
करीब 68 साल बाद नेशनल कैरियर एयर इंडिया घर वापसी कर सकती है। बुधवार को केंद्र सरकार के विनिवेश विभाग (Department of Investment and Public Asset Management) की ओर से मिली जानकारी के अनुसार टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह ने एअर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाई है। बुधवार को बोली लगानी की आखिरी तारीख थी।
कभी देश की शान माने जाने वाले इस सरकारी विमानन कंपनी पर 68 साल पहले तक टाटा का ही मालिकाना हक था। 1932 में शुरु हुए इस कंपनी को आजादी के बाद सरकारी कंपनी बना दिया गया। जब उड्डयन क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के चलते सरकार ने कंपनी के 49 फीसदी शेयर्स खरीद लिए। एक प्राइवेट एयर लाइन के तौर पर 15 साल तक सफलतापूर्वक आकाश की ऊंचाइयों को छूने वाली प्राइवेट एयरलाइन कंपनी टाटा एयरलाइंस सरकारी कंपनी बन गई।
एयर इंडिया का जन्म
टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इस विमानन कंपनी के फाउंडर थे। जे आर डी टाटा खुद एक पायलट थे। वे खुद टाटा एयरलाइंस के पहले सिंगल इंजन विमान हैविललैंड पुस मॉथ को कराची से उड़ाकर बॉम्बे के जुहू एयरोड्रोम लाए थे। शुरुआत में कंपनी का नाम टाटा एयर सर्विस रखा गया। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी। पहले सरकार ने 1948 में एयर इंडिया में 49 फीसदी शेयर खरीदे। बाद में 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया, जिससे एयर इंडिया समेत सात और प्राइवेट एयरलाइंस सरकारी क्षेत्र की कंपनियां बन गईं।
कर्ज के बोझ तले दबा महाराजा
बता दें कि एयर इंडिया कर्ज के बोझ तले दबी है। साल 2007 में इंडियन एयरलाइंस में विलय के बाद से एयर इंडिया घाटे में ही रही है। अनुमान है कि कंपनी को मार्च 2021 में खत्म तिमाही में 9,500-10,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इस नेशनल कैरियर पर 31 मार्च 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी जो भी एयर इंडिया को खरीदेगा, उसे इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपए का कर्ज का बोझ उठाना होगा। बाकी का कर्ज एयर इंडिया असेट होल्डिंग को स्पेशल परपज व्हीकल के जरिए ट्रांसफर किया जाएगा। जनवरी 2020 में जारी रुचि पत्र (EoI) में यह शर्त लगाई गई थी।
कई सालों से एयर इंडिया को प्राइवेट हाथों में देने की बात चल रही है। सरकार ने 2018 में 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई थी। हालांकि उस समय सरकार मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखने की बात कही थी। लेकिन जब बात नहीं बनी तो सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ इसे 100% बेचने का फैसला किया।
अगर टाटा बोली जीत जाती है तो एयर इंडिया पर स्वामित्व टाटा का होगा। आपको बता दें कि टाटा के स्वामित्व वाली दो विमान कंपनियां पहले ही हैं, जिसमें एयर एशिया और विस्तारा शामिल है।