स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
कहते हैं एक चुप सौ को हराता है, लेकिन आज वो दौर आ गया है कि चुप्पियों के चलते रिश्ते हार रहे हैं, इसलिए दिल की बात कह देना जरूरी है भले शिकवा ही करो क्योंकि खामोशियों रिश्तों में खाई बनाती हैं औऱ आजकल ये खाई पति-पत्नी के मधुर रिश्ते में बहुत ज्यादा नजर आती है। आधुनिक जीवन शैली और घटती सहनशीलता के कारण दांपत्य जीवन में दूरियां जगह बना रही हैं। हद से ज्यादा उम्मीद करना, आपसी तालमेल और विश्वास की कमी, आसमान छूती ख्वाहिशें, काम की व्यस्तता, पार्टनर के साथ समय बिताने की बजाय सोशल मीडिया पर बिजी रहना, एक-दूसरे की भावनाओं को न समझ पाना या अपनी भावनाएं जाहिर न करना आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो पति-पत्नी के बीच की छोटी-मोटी अनबन को एक बड़ी कलह का रूप देते हैं और कई रिश्ते सुखद दांपत्य जीवन बसर करने की बजाय बीच में ही अपने रास्त बदल लेते हैं।
परिवार टूटने से बचाएं
बदलते वक्त के साथ प्यार और शादी की परिभाषा भी बदल गई है, अब विवाह का पर्याय निस्वार्थ प्रेम, त्याग और समर्पण का भाव रहा ही नहीं। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है जिसकी वजह से सिंगल पेरेंट की संख्या भी बढ़ी है। अक्सर देखा जाता है कि पति-पत्नी के बीच कलह या तलाक का असर बच्चों की मनस्थिति पर पड़ता है, ऐसे में जरूरी है इस खूबसूरत रिश्ते को खूबसूरती से संभाले रखने के तरीकों पर विचार किया जाए ताकि इस खूबसूरत रिश्ते में मिठास काय़म रहे, परिवार टूटने से बचें।
संयम रखें
धैर्य, सहनशीलता, विश्वास, प्यार व नैतिकता आदि एक रिश्ते को जोड़े रखने की महत्वपूर्ण कड़ियां हैं। इस रिश्ते को दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता कहा जाता है ऐसे में जरूरी है कि दोनों ही तरफ से इस रिश्ते को उतनी ही सहजता और खूबसूरती से निभाया भी जाए। पति-पत्नी एक दूसरे की भावनाओं का आदर करें, सम्मान दें, अपने रिश्ते में अविश्वास को जगह न बनाने दें, काम के बिजी शेड्यूल से अपने लिए थोड़ा समय निकालें और एक दूसरे से अपनी भावनाएं जाहिर करें, अहम और खुद को श्रेष्ठ समझने की भावना को त्यागें, एक दूसरे को बराबर समझें।
समानता का भाव रखें
पति-पत्नी के रिश्ते में छोटी-मोटी अनबन या नोकझोंक आम बात है लेकिन इसे कलह की स्थिति तक न जाने दें। छोटे-मोटे गिले-शिकवों को शांत दिमाग व संयम से सुलझाएं। गुस्सा और घमंड किसी भी रिश्ते को खा जाते हैं इसलिए अपने अनमोल रिश्ते पर इसे हावी न होने दें। पारिवारिक निर्णयों में समानता का व्यवहार बनाए रखें, एक दूसरे की सलाह लेकर फैसले लें। अपने पार्टनर की खामियों को सुधार का मौका दें, लेकिन जब बात आए तारीफ की तो कंजूसी बिल्कुल न करें और सबसे खास बात दांपत्य रिश्ता भले कितना ही पुराना हो जाए अपने प्यार और फिक्र का इजहार करते रहें।
ध्यान रहे, पति-पत्नी हमेशा सलाहकार की भूमिका में होते हैं लेकिन जब दोनों में से कोई एक आलोचक की भूमिका निभाता है तो रिश्ता कमजोर पड़ने लगता है आपको अपने दांपत्य जीवन में इसी आलोचक की भूमिका को निभाने से बचना है। अपने रिश्ते में गलतफहमी को नहीं बल्कि प्यार, सम्मान, विश्वास और सराहना को स्थान दें ताकि इस अनमोल रिश्ते का खूबसूरत सफर खुशी से बसर हो।