योग से रहो निरोग। यह बात तो पूरी दुनिया समझने लगी है लेकिन साथ ही यह समझना भी आवश्यक है कि योग को अगर सही तरीके से ना किया जाए तो उसके फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। योग की दुनिया में कदम रखने से पहले योग के सही आसन और उससे शरीर पर होने वाले प्रभाव और फायदे की भी जानकारी होनी चाहिए।
योगा को सही संगीत का साथ मिल जाए तो शरीर पर ऐसे फायदे भी देखे जा सकते हैं जिनके बारे में सोचना अविश्वसनीय प्रतीत होता है। योगा का ताल्लुक शास्त्रीय संगीत के आठ तालों से है और उनके सही सामंजस्य से कई बिमारियों से भी निजात पाया जा सकता है। इन दोनों के बेजोड़ तालमेल का नाम है ‘यूफोनिक योगा’, जिसकी शुरूआत की है संगीत के बड़े घराने से ताल्लुक रखने वाली श्रुति चतुरलाल और योगा एक्सपर्ट सुमन कानावत ने।
योग और संगीत का इस खूबसूरत सामंजस्य के पीछे उद्देश्य है तन के साथ मन की शुद्ता को भी हासिल करना। श्रुति बताती है, “आजकल योग से मनुष्य शरीर की बाहरी खूबसूरती को हासिल करना चाहता है जबकि इसका परम उद्देश्य आंतरिक यानी मन और मनतिष्क को भी साधना है। संगीत आत्मा की शुद्दी का बेजोड़ श्रोत है। लेकिन जरूरी यह है कि हम हिंदुस्तानी संगीत को भी इससे जोड़े क्योंकि हिंदुस्तानी संगीत में एक ऐसा बल है जो व्यक्ति के आंतरिक श्रुतियों को भी दूर करता है”।
तबला सम्राट पंडित चतुरलाल की पोती श्रुति बचपन से संगीत के माहौल में पली बढी हैं। तबला और सितार से भलीभांति वाकिफ श्रुति बताती हैं, “एक दिन मैं अपने दादा जी और पंडित रवि शंकर जी के संगीत चारूकेशी को सुन रही थी जो उनकी बेहतरीन रिकॉर्डिंग्स में से एक है। तब मुझे यह ख्याल आया कि अगर इस संगीत सो शरीर और मन को इतना भरपूर आनंद का अहसास होता है तो कोई तो टेक्नीक होगी, कोई तो तत्व होगा जो हमे इतना मनमोहक अनुभूती देता है। हम दोनों गहन रिसर्च के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे की संगीत के सात स्वर और शरीर के सात चक्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस तरह हमनें दो प्रकार के विज्ञान को जोड़ कर एक नया रूप दिया जो पहले कभी नहीं हुआ है”।
बचपन में अपनी मां से प्रेरित होकर मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान से योगा के गुर सीखने के बाद सुमन ने योगा गुरू के रूप में कईयों को योग के लाभ से परिचित किया है। लेकिन यूफोनिक योगा एक बिलकुल ही नया प्रयास है। सुमन कहती हैं, “लोग म्यूज़िकल योग तो करते हैं लेकिन वो वेस्टर्न म्यूज़िक के साथ किया जाता है जिसका शरीर के अलग अलग चक्र पर कोई सकारत्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यूफोनिक योग में हम अलग अलग स्वर के साथ योग करवाते हैं जिससे एक अलग ही प्रकार का अनुभव होता है क्योंकि इन स्वरों और योग का समागम शरीर में छुपी बिमारियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है”।
सुमन और श्रुति का मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत आत्मा तक पहुंचता है और यही गुण योगा में भी है। योगा का मुख्य उद्देश्य वज़न कम करना नहीं है बल्कि मन और आत्मा की आवाज़ को सुनना है। मात्र योगासन ही योग नहीं है, यह तो बस एक हिस्सा मात्र है। इसमें दिमाग, शरीर और आत्मा का मिलन होता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा गुण है दिमाग और आत्मा तक पहुंच। इस लिए हमने योगा और संगीत का समावेश किया है। योगासन, प्राणायाम और ध्यान तीनों को भारतीय शास्त्रीय संगीत से जोड़ा है।
श्रुति योगा और भारतीय शास्त्रीय संगीत के बेहतरीन प्रयोग के लाभ के बारे में कहती हैं, “हमारे पास एक महिला आती थी योगा करने जिनकी सबसं बड़ी समस्या थी थायरॉइड। उनका थायरॉइड कम नहीं हो रहा था लेकिन यूफोनिक योगा के ज़रिए उनमें बहुत ही ज्यादा सुधार हुआ है”।
सुमन कहती हैं, “मान लिया किसी को पैरों की समस्या है जो मूलधार चक्र के अंतर्गत आता है। स्वरों में नीचे का सा पैरों पर असर डालता है तो हम वही राग उठाते हैं जो सही असर डाले”।
श्रुति और सुमन के इस नये प्रयोग को कॉर्पोरेट जगत की काफी सराहना मिल रही है। दिल्ली और एनसीआर की बड़ी कंपनियां उन्हें अपने कर्मचारियों के स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए आमंत्रित कर रही हैं। श्रुति कहती है, “आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई स्ट्रेस जैसी समस्या से जूझ रहा है ऐसे में कंपनिया यह मांग कर रही हैं कि हम वर्कशॉर के माध्यम से उनके कर्मचारियों को योगा के सही रूप से परिचित करवाएं। स्ट्रेस से लड़ने के लिए हम योगा के साथ राग अहिर भैरव का इस्तेमाल करते हैं। हम अलग अलग परकशन्स का इस्तेमाल करते हैं जो हमारे शरीर की फ्रिक्वेंसिज़ पर असर डालता है”।
यूफोनिक योगा के सही इस्तेमाल के लिए सबसे पहले लोगों की ज़रूरत और समस्या को समझना ज़रूरी होता है तभी सही योगासन और राग के माध्यम से लोगों की समस्याओं से उन्हें निजात दिलाया जा सकता है।
अपने नवीन प्रयास के ज़रिए श्रुति और सुमन ने यह सिद्द किया है कि संगीत साधना और योग साधना को जीवन में सही ढंग से उतारा जाए तो मनुष्य नई शक्ति और उर्जा का अनुभव करता है।