दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे शातिर आरोपी को धर दबोचा है जो खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय का संयुक्त आयुक्त बता कर फर्जीवाड़ा कर रहा था । इतना ही नहीं यह शातिर खुद को भाजपा और आर एस एस नेताओं का करीबी बताकर भी फर्जीवाड़ा करने में लिप्त था। यह जालसाज खुद को एम्स का सहायक प्रोफेसर भी बताकर धोखाधड़ी करता था। पकड़े गए आरोपी की पहचान देवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ गुड्डू (44) के तौर पर हुई है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि देवेंद्र मिश्रा पर आम जनता के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों के को चूना लगाने का आरोप है। जांच कार्रवाई में पता चला है कि आरोपी ने उत्तर प्रदेश के लखिमपुर खिरी में एक अस्पताल भी खोला हुआ था। दरअसल दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को शिकायत मिली थी कि एक शख्स है, जो अपने आप को एम्स का प्रोफेसर, आर्मी अस्पताल का संकाय अध्यक्ष, नीति आयोग का सलाहकार और स्वास्थ्य मंत्रालय का अधिकारी बाता कर चूना लगाता है। इस तरह की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और आगे की जांच में जुट गई।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि सूचना के आधार पर आरोपी देवेंद्र कुमार मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके पास से स्वास्थ्य मंत्रालय का फर्जी पहचान पत्र, जिस पर इसकी फोटो लगी हुई थी और लिखा हुआ था डॉक्टर देवेंद्र कुमार मिश्रा, एम्स का फर्जी पहचान पत्र, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, रेवा मध्य प्रदेश का फर्जी पहचान पत्र और करीब 68 हजार रुपए जब्त किए गए। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह मूलरूप से मध्य प्रदेश के रेवा का रहने वाला है। उसके पास लैब तकनीशियन का डिप्लोमा है। साल 2008 में वह दिल्ली आया और खून जांच केंद्र चलाने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात एम्स के डॉक्टरों के अलावा अन्य अधिकारियों के साथ हुई और इसके बाद वह फर्जीवाड़ा करने लगा था। आरोपी ने अलीगढ़ के डीएम से संपर्क साध कर लाइसेंसी पिस्तौल ले लिया। यही नहीं उसने श्रद्धा मदर एंड चाइल्ड क्लीनिक लखिमपुरी खिरी में खोला। पुलिस को पता चला है कि यह शातिर सरकारी कार्यालयों से मिलने वाले ठेके और नौकरी में झांसा देकर उगाही का धंधा करता था ।
क्राइम ब्रांच का कहना है कि इस बाबत एक डॉक्टर ने क्राइम ब्रांच को शिकायत कर बताया कि चार अक्टूबर को उनके पास देवेंद्र मिश्रा नाम के व्यक्ति का एक कॉल आया। उसने खुद को एम्स और आर्मी के आरआर अस्पताल में विजिटिंग फैकेल्टी और नीति आयोग का सलाहकार बताया। उसने शिकायतकर्ता को दिल्ली कैंट स्थित आरआर अस्पताल के ऑफिसर मेस में मिलने के लिए बुलाया। इसके बाद 10 अक्टूबर को उनकी मुलाकात हुई, जहां गेस्ट रूम के बाहर डॉ. देवेंद्र (नीति आयोग) की नेम प्लेट लगी हुई थी। देवेंद्र मिश्र ने उन्हें बताया कि रक्षा मंत्री सहित कई मंत्री व ब्यूरोक्रेट से उनका रोजाना मिलना जुलना है। वह उनकी मनचाही प्रमोशन और पोस्टिंग में मदद कर सकता है। उसने अपने मोबाइल में कई अधिकारियों और मंत्रियों की तस्वीरें दिखाईं। एक मोबाइल नंबर दिखाते हुए उसने कहा कि यह नंबर आरएसएस के बड़े अधिकारी का है। जिनके संपर्क में वह अक्सर रहता है। इससे शिकायतकर्ता को को शक हुआ और उन्होंने इसकी शिकायत क्राइम ब्रांच की साइबर सेल को दी। मामले की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस हरकत में आई और जांच करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम ने जब टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली तो पता चला कि आरोपी के पास मौजूद मोबाइल नंबर मध्य प्रदेश के रीवा निवासी देवेंद्र कुमार मिश्रा का है। पुलिस आरोपी को पकड़ने में जुट गई और इस बीच साइबर सेल को पता चला कि वह पंचकुइयां रोड पर आने वाला है। इस जानकारी पर क्राइम ब्रांच की टीम ने पहाड़गंज से उदासीन आश्रम के पास से उसे पकड़ लिया।
फर्जीवाड़ा करने वाला आरोपी ने एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल को जोधपुर एम्स का डायरेक्टर बनवाने का झांसा दिया था। उन्होंने क्राइम ब्रांच को बताया कि उनके पास 3 दिसंबर को एक कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने खुद को आरएसएस का जनरल सेक्रेटरी का करीबी बता कर झांसा दिया और उन्होंने भरोसा करते हुए अपने दस्तावेज और एप्लीकेशन भी उन्हें भेजे थे, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यह व्यक्ति कोई जालसाज है और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दे दी थी।