कहते हैं ना की संगीत की अपनी अलग बोली है, अलग भाषा है। संगीत कड़े से कड़े ह्रदय को भी मोम की भांति पिघला सकता है। सुर-संगीत वो जादू है जो मन के अंधकार को दूर कर उजाले में तब्दील करता है। दिल्ली के लोक कला मंच में शनिवार की शाम देश के जाने माने कलाकारों नें कुछ ऐसा संमा बांधा कि कलाप्रेमियों की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा।
तराना आर्ट एंड म्यूज़िक द्वारा आयोजित कॉन्सर्ट सीरिज का उद्देश्य है भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य को जन जन तक पहुंचाना। संगीत की अविरल धारा को नई पीढियों तक पहुंचाना। यह मौका इसलिए भी खास था क्योंकि तबला सम्राट स्वर्गीय पंडित चतुर लाल के 90वें जन्मतीथि के अवसर पर उनकी याद में पोते प्रांशू चतुर लाल ने तबले की थाप से सबको मोहित कर दिया।
भावविभोर प्रांशू ने कहा, “अपने दादा जी की याद में आज मुझे इस मौके पर परफॉर्म करने का मौका मिल रहा है इससे बड़ी बात मेरे लिए क्या हो सकती है। मैं चाहूंगा कि मेरे दादा जी की आत्मा मुझे आर्शीवाद दे ताकि मैं अपने श्रोताओं की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं”।
इस मौके पर पंडित चतुर लाल के पुत्र पंडित चरणजीत लाल समेत कर्नाटक संगीत की मशहूर पद्मश्री विदुषी सुमित्रा गुहा, कत्थक गुरू पंडित दीपक महाराज, सात्विक वीणा के जनक और तंत्री सम्राट पंडित सलिल भट्ट ने अपनी मौजूदगी से समारोह में चार चांद लगा दिए।