स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
तनाव हद में है तो अच्छा है, प्रेरित भी करेगा और प्रोत्साहित भी, लेकिन अति हुई तो यही तनाव दिमाग में एक ऐसे तूफान को पैदा करता है जो दूसरी कई दिमागी परेशानियों को जन्म दे सकता है। विस्तार से समझिए तनाव की सही परिभाषा और निवारण।
क्या है तनाव ?
किसी का भय, पैसे की तंगी या कहिए बेरोजगारी और अकेलापन, ये कुछ मुख्य कारण हैं जो एक व्यक्ति को तनाव की स्थिति में ले जाने के लिए पर्याप्त हैं, और बीते 9-10 महीने में इस तीनों ही कारणों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। भय, कोरोना की चपेट का, पैसे की तंगी औऱ बेरोगारी की समस्या भी लॉकडाउन में बढ़ी है और अकेलेपन से तो अधिकतर लोगों का साक्षात्कार होता है। नतीजा, तनाव से जूझ रहे लोगों की गिनती में भी इजाफा हो रहा है। वैसे ऐसा नहीं है कि स्टैस यानि तनाव के शिकार लोग सिर्फ इन कुछ महीनों में हुए हैं। तनाव हमेशा से व्यक्ति को घेरता रहा है, बस जरूरी है कि लोग अपनी मनस्थिति को इतना सबल और सशक्त बनाएं कि किसी समस्या के सामने हताश होकर तनाव से न घिरें। हालांकि सामान्य तनाव फायदेमंद होता है जैसे किसी काम को पूरा करने की चिंता, काम समय पर देने की लगन, इस तरह का स्ट्रैस अच्छा है, जो इंसान को आगे बढ़ने के लिए, कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित-उत्साहित करता है लेकिन स्ट्रेस जब डिस्ट्रेस बन जाए यानि तनाव अति पार करने लगे, तो ये घातक हो जाता है।
कारण व लक्षण
तनाव बढ़ने पर किसी समस्या में फंसा व्यक्ति खुद को दिशाहीन पाता है, हल न मिलने पर घबराहट-बेचैनी, असफल-असहाय जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है। बढ़ते तनाव का असर दिमाग को तो चोटिल करता ही है शरीर पर भी इसका असर नजर आता है। व्यक्ति के व्यवहार और भावों में अंतर आने लगता है। सर दुखना, इम्यून सिस्टम कमजोर होना, थका-थका शिथिल सा महसूस करना, नींद न आना, ब्लड प्रेशन का लो या हाई होना, अक्सर किसी चिंता में डूबे रहना, एकाग्रता का घटना, दूसरों को नजरअंदाज करना, गुस्सा, चिड़चिडापन और उदासी ये कुछ लक्षण हैं जो तनाव के शिकार व्यक्ति में नजर आते हैं।
आज की भगदौड़ भरी जिंदगी में करीब-करीब सभी तनाव में हैं, लेकिन तनाव की अति से बचाव की जरूरत है, क्योंकि बढ़ता तनाव न सिर्फ दिमाग को कमजोर करता है, बल्कि सोचने समझने की शक्ति को भी प्रभावित करता है। तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग अक्सर नशे आदि बुरी लतों के शिकार भी हो जाते हैं या कुछ इतने टूट जाते हैं कि अकेलापन या खामोशी में जीते हैं, कुल मिलाकर तनाव एक ऐसा मानसिक विकार है जो अंतहीन है और दूसरे कई मनोविकारों की ज़ड है, ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के पहलुओं पर विचार करें।
तनाव से बचाव
अपने आस-पास यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखें, जो तनाव का शिकार हो उन्हें इस विकार से उबरने में मदद करें, यदि आप खुद इस समस्या से जूझ रहे हैं तो अपनी दिनचर्या में कुछ जरूरी बदलाव लाएं। अपने दिन की शुरुआत व्यायाम से करें। मेडिटेशन करें, नकारात्मक विषयों पर बाचतीच या विचार कम करें, टीवी, फोन,लैपटॉप-कंप्यूटर पर टाइमपास करने की बजाए सोशल इंटरेक्शन में समय व्यतीत करें। वास्तविक रिश्तों-दोस्तों में विश्वास बनाएं, काम से थोड़ा समय निकालकर अपने शौक को दें, और सबसे जरूर व अहम बात, अपनी भावनाओं को जाहिर करें, फिर चाहें वो डर हो, उदासी हो, किसी से शिकायत हो या समस्या, दोस्तों, रिश्तेदारों व परिजनों से खुलकर उन विषयों पर चर्चा करें जो आपको उधेड़बुन में डालते हैं। ध्यान रहे, तनाव नाम के तूफान को मन और भावनाओं के बीच जगह न बनाने दें, धैर्य व विवेक से समय की चुनौतियों का सामना करें, मन:स्थिति औऱ परिस्थिति जब आप संतुलन बनाए रखेंगे तभी तनाव नामक विकार को परास्त कर सकेंगे। सकारात्मक रहें, स्वस्थ रहें और तनाव से बचे रहें।