कोरोनावायरस के उपचार में प्रभावी माने जाने वाली प्लाज्मा थेरेपी से जुड़ी सारी उम्मीद है अब निराशा में बदलती दिख रही है। उम्मीद थी कि इस थेरेपी के माध्यम से कोविड-19 के इलाज में बहुत मदद मिलेगी जिससे इस संक्रमण पर काबू पाया जा सकेगा लेकिन फिलहाल जिस तरह के परिणाम सामने आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि यह थेरेपी लोगों की जान बचाने में कारगर साबित नहीं होगी। इस बात में कोई शक नहीं की प्लाजमा थेरेपी एक असर दायक तरीका है जो कई लोगों से मुक्ति दिलाता है लेकिन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किए गए एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि प्लाजमा थेरेपी कोरोना मरीज़ की मौत रोकने में असरदार नहीं है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपने अध्ययन में यह पाया है। कोविड-19 के मरीज़ों पर कितना कारगर है प्लाजमा थेरेपी यह पता लगाने के लिए 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में ‘ओपन-लेबल पैरलल-आर्म फेज द्वितीय मल्टीसेन्टर रेंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल ‘ (पीएलएसीआईडी ट्रायल) किया गया। दरअसल इस थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्तियों के रक्त से एंटीबॉडीज ले कर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके. इस अध्ययन में कुल 464 मरीजों को शामिल किया गया लेकिन स्टडी के परिणाम यह बताते हैं कि इस थेरेपी से कोई स्पष्ट मृत्यु दर लाभ नहीं हुआ है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 जून को जारी किए गए कोविड-19 के ‘क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ में इस थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी.
अध्ययन में यह बात सामने आ है कि प्लाजमा थेरेपी मौत की दर को कम करने और कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है। अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 के लिए प्लाजमा थेरेपी के इस्तेमाल पर केवल दो परीक्षण प्रकाशित किए गए हैं, एक चीन से और दूसरा नीदरलैंड से। इसके बाद ही दोनों देशों में इसे रोक दिया गया था.
क्या है प्साज़मा थेरेपी?
प्लाज्मा थेरपी एक ऐसी चिकित्सा है, बीमार व्यक्ति के शरीर में, बीमारी से ठीक हुए किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर से ऐंटिबॉडीज निकाल कर डाली जाती हैं, जो पहले इस बीमारी से संक्रमित रहा हो और बाद में ठीक हो गया हो। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में वायरस को मारनेवाली ऐंटिबॉडीज विकसित हो जाती हैं। ऐसा बीमार व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरूस्त करने के लिए किया जाता है।