कुचिपुड़ी की तिकड़ी
नृत्य ही जीवन, नृत्य ही सर्वस्व-ऐसा मानना है कुचिपुड़ी नृत्य की मशहूर तिकड़ी राजा-राधा-कौशल्या रेड्डी का। इनमें से पद्मश्री एवं पद्मभूषण राजा और राधा रेड्डी के नाम से कुचिपुड़ी नृत्य के दीवानों में शायद ही कोई वाकिफ नहीं होगा। इस जोड़ी ने कुचिपुड़ी को विश्वस्तर पर एक अलग पहचान दिलायी है। दशकों इस नृत्य पर पल-पल न्योछावर करने वाली इस जोड़ी का कला के प्रति समर्पण अतुलनीय है। ऐसा ही कुछ बराबर का योगदान है राधा रेड्डी की बहन और राजा रेड्डी की दूसरी पत्नी कौशल्या रेड्डी का। इन तीनों ने मिल कर कुचिपुड़ी नृत्य को नया आयाम दिया है।
राजा रेड्डी : आसां न था सफर
राजा रेड्डी का मानना है कि नृत्य एक संपूर्ण कला है-जो शरीर, मन और आत्मा को संचालित और नियंत्रित करती है। राजा रेड्डी का भारतीय नृत्य के प्रति लगाव बचपन से ही था, जिसने उन्हें हर बाधा को लांघने की ताकत दी।