केंद्र सरकार के किसान संबंधी तीन विधेयकों के खिलाफ पंजाब में 24 से 26 सितंबर तक किसानों ने रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है। विधेयकों के विरोध में उतरे राज्य के अलग-अलग किसान संगठनों ने पहले ही 25 सितंबर को राज्य में बंद की घोषणा की है।
गुरूवार को लोकसभा में दो किसान बिल पारित होने के बाद एनडीए गठबंधन में हडकंप का माहौल देखने को मिला। शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा के गठबंधन में दरार आ गई है, बात तो इतनी बिगड़ गई कि केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सरकार से इस्तीफा दे डाला।
पंजाब और हरियाणा के किसान बिल का पुरजोर विरोध कर रहे हैं जिसके मद्देनज़र, किसानों के समर्थन में हरसिमरत कौर बादल ने खुद को सरकार से अलग कर दिया। मोदी सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में तीन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पास कराना चाहती है।
इनमें किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 और मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल, 2020 शामिल है।
लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार ये अध्यादेश लेकर आई थी लेकिन अब उसे कानून की शक्ल देने के लिए संसद में बिल पेश किया गया है। इनमें दो बिल लोकसभा में पारित हो चुके हैं। इस बिल के विरोध में पंजाब, हरियाणा से लेकर तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों के किसान शामिल हैं।
इन विधेयकों पर किसानों की ओर से जबरदस्त विरोध देखा जा रहा है। दरअसल उनकी सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है। किसानों को यह चिंता खा रही है कि सरकार बिल लागू कर उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य वापस का हक छीनना चाहती है। वहीं कमीशन एजेंटों को भी लग रहा है कि बिल लागू होने से कमीशन से होने वाली आय उनकी आय को एक बड़ा झटका लगेगा।
पंजाब से इस पर घोर विरोध इसलिए भी देखा जा रहा है क्योंकि कृषि विश्वविद्यालय की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 12 लाख से ज्यादा किसान परिवार हैं और 28,000 से ज्यादा कमीशन एजेंट रजिस्टर्ड हैं।
पंजाब की अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका अहम है। किसान ऐसा महसूस कर रहे हैं कि नए कानून के लागू होने से केंद्रीय खरीद एजेंसी (एफसीआई) उपज नहीं खरीद सकेगी जिसके कारण किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानी होगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य से हाथ धोना पड़ेगा।
विरोध के मुख्य कारण
किसानों को यह डर सता रहा है कि पहले अध्यादेश के अनुसार अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था। साथ ही केंद्र सरकार ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर दिया है और इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है। केंद्र सरकार कांट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रही जिसकी चिंता किसानों को हो रही है। सबसे बड़ा मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य का भी है जिसका कोई जिक्र नहीं है।
दरअसल शिरोमणी अकाली दल के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि पंजाब के किसान अकाली दल के लिए वोट बैंक का काम करते हैं। कई बार बादल परिवार ने यह कहा है कि अकाली मतलब किसान, किसान मतलब अकाली।
हालांकि कुछ समय पहले तक अकाली दल किसान अध्यादेश का समर्थन में बातें कर रहा था। पंजाब विधान सभा सत्र के ठीक एक दिन पहले (28 अगस्त, 2020) सुखबीर सिंह बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चिट्ठी भी लिखी थी जिसमें यह कहा था कि किसानों को मिलने वाली एमएसपी प्रभावित नहीं होगी। उस दौरान सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर यह आरोप भी लगाया था कि वो किसानों को बहकाने का काम कर रहे हैं। अब जब इस बिल के विरोध में किसानों का आंदोलन तेज़ हो गया है कि बादल को यह अहसास हो रहा है कि उनसे गलती हो गई है।
राज्य में अब जब विधान सभा चुनाव होने हैं तो अकाली दल को यह डर सता रहा है कि यह बिल उनके विरोध में जा सकता है। ऐसे में हरसिमरत कौर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे कर किसानों का समर्थन बटोरने की कोशिश कर रही है। हालांकि यह कहना अभी सही नहीं होगा कि हरसिमरत के इस कदम से शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी के रिश्ते पर कोई असर पड़ेगा।