कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध लगातार बना हुआ है। दोनों ही पक्ष अड़े हुए हैं- किसान जहां अपनी मांगों पर समझौता करने को तैयार नहीं वहीं सरकार ने भी साफ कह दिया है कि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगे।
20 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानो को लेकर बुधवार का दिन अहम हो सकता है। आज सुप्रीम कोर्ट इस बात का फैसला करेगा कि क्या हाइवे जाम करना या आंदोलन करना जायज है या नहीं। यानी की बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन चलता रहेगा या फिर उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इसपर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा।
दरअसल, कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिकाएं किसान आंदोलन के कारण दिल्ली से सटी सीमाओं को जाम करने को लेकर है। आंदोलन के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आज किसानों ने दिल्ली-नोएडा चिल्ला बॉर्डर को भी जाम करने का भी ऐलान किया है।
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हो रही याचिका में दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने की मांग की गई है। कोरोना के संक्रमण का खतरा, सड़कों का ब्लॉक होना, इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस बाधित होना जैसी बातों का उल्लेख याचिका में है।
यह याचिका कानून की पढ़ाई कर रहे ऋषभ शर्मा ने दायर की है. अर्जी में आगे कहा गया कि प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
किसानों से जुड़ी एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को किसानों की मांग पर विचार करने का निर्देश दे. याचिका में NHRC से किसानों पर हमले के संबंध में मानव अधिकार उल्लंघन से जुड़ी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.