8 अक्टूबर को इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force Day) अपना 88 वां स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरफोर्स पर इस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। हर साल की भांति इस बार भी हिंडन एयरफोर्स अपनी ताकत का प्रदर्शन करने को तैयार है। इस साल का प्रदर्शन इस लिए भी खास है क्योंकि इस बार एयरफोर्स के बेड़े में लड़ाकू विमान राफेल को भी शामिल किया गया है।
राफेल होगा आकर्षण का केंद्र
एयरफोर्स डे परेड में राफेल लड़ाकू विमान आसमान में ऊंची उड़ान भरते दिखेगा। लेह जैसी जगहों और काफी ठंडे मौसम में भी लड़ाकू विमान तेजी से काम कर सकता है। राफल 24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम है और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी भी है। राफेल विमान दो इंजनों वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है। यह हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमले कर सकता है। राफेल हवा से जमीन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल है, स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी है। 1 मिनट में 60,000 फ़ुट की ऊंचाई और 4.5 जेनरेशन के ट्विन इंजन से लैस है। राफेल की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा है और इसकी मारक क्षमता 3700 किमी. तक है। राफेल में बहुत ऊंचाई वाले एयरबेस से भी उड़ान भरने की क्षमता है। अभी भारत को 36 राफेल विमान मिलने हैं, जिनमें 18 अंबाला और 18 बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रखे जाएंगे। हासीमारा एयरबेस चीन और भूटान सीमा के करीब है। दो इंजन वाले इस फाइटर जेट में दो पायलट बैठ सकते हैं। यह जेट एक मिनट के अंदर 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।
भारतीय एयर फोर्स का गठन
भारतीय वायु सेना का गठन 8 अक्टूबर, 1932 को किया गया था। भारतीय वायु सेना के वायु यान ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को भरी थी जिसमें RAF द्वारा प्रशिक्षित छह अफसर और 19 हवाई सिपाही (शताब्दिक तौर पर वायुयोद्धा) थे। दरअसल भारतीय वायु सेना की स्थापना ब्रिटिश साम्राज्य की वायु सेना की एक इकाई के तौर पर हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसके नाम में रॉयल शब्द जोड़ा गया था जिसे आजादी के उपरांत 1950 में “रॉयल” शब्द को हटाकर सिर्फ “इंडियन एयरफोर्स” कर दिया गया था। हर साल एयर फोर्स डे पर एयरफोर्स अपने बेहतरीन विमानों का एयर शो और करतब व प्रदर्शन करती है।
‘नभ: स्पृशं दीप्तम’
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’। भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है और यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री क्रष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है। भारतीय वायु सेना इसी आदर्श वाक्य का अनुसरण करती है।
भारतीय वायु सेना का युद्द इतिहास
भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। देश के आजाद होने के बाद से भारतीय वायु सेना चार युद्धों में कार्यवाई कर चुकी है। भारतीय वायु सेना संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कार्यों में भी सहयोग कर चुकी है।
वायु सेना के पहले चीफ, एयर मार्शल
भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। भारत के स्वतंत्रता मिलने के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना के पहले चीफ, एयर मार्शल बने थे। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।
भारतीय वायु सेना की ताकत
भारतीय वायु सेना के बेड़े में सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, मिग-29, मिग 27, मिग-21 और जगुआर फाइटर जेट शामिल है। इसके अलावा हेलिकॉप्टर श्रेणी में वायु सेना के पास एमआई-25/35, एमआई-26, एमआई-17, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर हैं, जबकि ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में सी-130 जे, सी-17 ग्लोबमास्टर, आईएल-76, एए-32 और बोइंग 737 जैसे प्लेन शामिल हैं।