6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) आज (30 सितंबर) को अपना फैसला सुनाएगी। 28 साल बाद आने वाले इस अहम फैसले से पहले कोर्ट के सामने सीबीआई के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के सामने 351 गवाहों व करीब 600 दस्तावेज भी साक्ष्य के रूप में पेश किए।
आज आने वाले इस फैसले से पहले अयोध्या में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। अयोध्सीया में शांति बनाये रखने के आईडी और एलआईयू की टीमें सादी वर्दी में तैनात की गई हैं। अयोध्बाया से बाहर के लोगों पर खास नजर रखी जा रही है ताकि वो बाहर से आकर किसी तरह से शांति भंग न कर पाएं। कहीं भी भीड़ इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है, उल्लंघन करने वालों पर महामारी ऐक्ट और धारा-144 के उल्लंघन के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी ढांचे को ढहा दिया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था। दरअसल लंबे खिंचे इस केस में, फैसले के आने से पहले ही सीबीआई की ओर से आरोपपत्र में अभियुक्त बनाए गए 49 लोगों में से 17 की मौत हो चुकी है। इनमें बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरि डालमिया समेत 17 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत को तय समय में सुनवाई पूरा करने के निर्देश दिए। एक सितंबर को इस मामले में बचाव और अभियोजन की बहस पूरी होने पर दो सितंबर 2020 से कोर्ट ने अपना फैसला लिखना शुरू कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सीबीआई कोर्ट को 30 सितंबर तक मामले में फैसला सुनाने के लिए निर्देशित किया था।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में किनका-किनका नाम
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे और ओम प्रकाश पांडे, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शर्मा, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर। बाबरी विध्वंस मामले में फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल किया गया था। विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में श्रीवास्तव समेत 28 अभियुक्तों के मुकदमे की सुनवाई हुई जबकि आडवाणी समेत 8 अभियुक्तों के मामले की कार्यवाही रायबरेली के विशेष अदालत में चली।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी नेताओं पर आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश के आरोप को बहाल किया और दोनों केस को मिलाकर एक कर दिया। जिसके साथ ही रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ के सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया ति उन सभी 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाये जिन्हें हाई कोर्ट ने पहले डिस्चार्ज कर दिया था। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि रायबरेली में ट्रायल झेल रहे आरोपियों के खिलाफ भी आपराधिक साजिश का केस दर्ज हो। लखनऊ कोर्ट ने 2017 में ही आडवाणी सहित सभी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप तय करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इन नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और जनता को उकसाने के आरोप लगाए थे।
दरअसल कल्याण सिंह जो बाबरी विध्वंस के समय मुख्यमंत्री थे पर 2017 में केस नहीं दर्ज हो सका था क्योंकि वह उस वक्त राजस्थान के गर्वनर थे। गवर्नर कार्यकाल खत्म होते ही उनके खिलाफ पिछले साल केस दर्ज हुआ। आरोपियों में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ स्थान ट्रस्ट में शामिल वीएचपी नेता चंपत राय और महंत नृत्य गोपाल दास का नाम भी है।
अदालत ने सभी आरोपियों को फैसले के वक्त कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दिये हैं। फैसला आने से पहले उमा भारती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। इस पत्र में उमा भारती ने कहा है कि, 30 सितंबर को CBI की विशेष अदालत का फैसला आ रहा है और मुझे पेश होना है। अदालत का हर फैसला मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद होगा। मैंने हमेशा कहा है कि अयोध्या के लिए तो फांसी भी मंजूर है। मुझे नहीं पता कि फैसला क्या होने वाला है, मगर जो भी हो मैं जमानत नहीं लूंगी।