दिल तो बच्चा है जी…. जी हां आज की तेज़ रफ्तार और भागदौड़ भरी जिंदगी में दिल का बच्चा होना बहुत ज़रूरी है। और दिल को बच्चा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि जीने के अंदाज़ को तब्दील कर बेहतर बनाया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो दिल संबंधी बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को कभी भी अपनी चपेट में ले सकती है।
पिछले दिनों डब्लयू एच ओ कि एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी है कि दिल की बीमारी का सीधा असर मरीज़ की पॉकेट पर पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय और चाइनीज़ लोग सबसे अधिक वित्तिय परेशानी में पड़ते हैं। नई दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल में कार्डियालोजी विभाग के चेयरमैन डॉ जे एस साहनी कहते हैं कि भारत में 60 प्रतिशत दिल के मरीज़ बीमाधारी नहीं होते हैं और 20 प्रतिशत मरीज़ अपनी कमाई का 30 प्रतिशत हिस्सा या उससे अधिक बीमारी से लड़ने में झोंक देते हैं।
डॉ साहनी से हुई सीधी बातचीत में वो कहते हैं कि भारत देश में लगभग 6 करोड़ लोग ह्रदय की समस्याओं से पीड़ीत हैं। लेकिन सबसे गंभीर बात यह है कि सबसे ज्यादा परेशानी 40 वर्ष के नीचे से लोगों को है। नौजवानों के बीच दिल की बीमारी सबसे अधिक पैर फैलाए हुए है। जबकि दूसरे देशों में यह समस्या 60 वर्ष के बाद ही आती है।
डॉ साहनी कहते हैं कि यह समस्या देश के नौजवानों के बीच इसलिए भी पैर जमाती जा रही है क्योंकि हम सेंट्रल ओबेसिटी (जैसे तोंद का निकलना) के शिकार होते हैं। शारीरिक परेशानियों का एक पुलिंदा लोगों को अपनी लपेट में लेता है जैसे – हाई कॉलेस्ट्रॉल, हाई बी पी, हाई शूगर, सेंट्रल ओबेसिटी। कई रिस्क फैकटर्स मिलकर ह्रदय रोग को जन्म देते हैं। दूसरी अहम् बात जिस पर गौर फरमाने की जरूरत है वो ये कि भारतीयों की जीवन शैली ठीक नहीं है। हम संतुलित खानपान से दूर रहते हैं, जंक फूड पर फोकस अधिक है, व्यायाम पर ध्यान नहीं देते हैं।
ह्रदय रोग से बचने के उपाए-
हाई कॉलेस्ट्रॉल युक्त भोजन से बचें- अधिक से अधिक सेवन हरी सब्ज़ियों और फल का किया जाना चाहिए। मीठाई, चावल, घी और बटर को ज़रूरत से ज्यादा मात्रा में ना लें। खानपान का तरीका बहुत ही त्रुटिपूर्ण है। खाना बनाते वक्त तेल को ज़रूरत से ज्यादा गर्म करने से भी खाना विषैला हो जाता है।
सुस्त जीवनशैली को छोड़े- हर दिन 40 मीनट का व्यायाम आवश्यक है। वर्कआउट करना तो हमारे जीवन का हिस्सा बन जाना चाहिए। एक्सरसाइज किसी भी अंदाज़ में किया जा सकता है। चाहे प्रतिदिन टहल कर या फिर किसी ट्रेनर की मदद से भी व्यायाम किया जाना चाहिए जिससे वज़न भी नियंत्रित रहता है और दिल की धड़कन भी दगा नहीं देती है।
तंबाकू का त्याग करें- हमारे देश में सिगरेट पर टैक्स बढ़ाया तो गया है लेकिन तंबाकू सेवन के बाकि तरीके अब भी आसानी से उपलब्ध है। बीड़ी,जर्दा और गुटखा बहुत ही सस्ता है। दो तरह का तंबाकू सेवन है- स्मोकिंग और स्मोकलेस। बाहर के देशों में स्मोकलेस तंबाकू बिलकुल ही नहीं है जबकि भारत में स्मोकलेस तंबाकू सेवन से स्वास्थ्य का बहुत नुकसान है।
स्ट्रेस से बचें- स्ट्रेस का असर भी हमारी सेहत पर बेहद खतरनाक असर डाल सकता है जिससे अक्सर लोग हाईपर टेंशन के शिकार हो जाते हैं। बीपी मापने का तो मार्कर है लेकिन स्ट्रेस मापने का कोई मार्कर नहीं है। भारत में सोशल स्क्योरिटी सिस्टम की कमी होने के कारण लोग भविष्य के लिए पैसे जोड़ने में जुटे रहते हैं। ज़िंदगी को खुलकर जीना भूल जाते हैं। आवश्यक है कि जिंदगी को ज़िंदादिली से जीया जाए।